Jun 28, 2013

मन की शांति हमें life की ज़रूरी चीजें समझने में मददगार होती है

एक बार एक किसान की घड़ी कहीं खो गयी. वैसे
तो घडी कीमती नहीं थी पर किसान उससे भावनात्मक रूप से
जुड़ा हुआ था और किसी भी तरह उसे वापस पाना चाहता था.
उसने खुद भी घडी खोजने का बहुत प्रयास किया, कभी कमरे
में खोजता तो कभी बाड़े तो कभी अनाज के ढेर में ….पर
... तामाम कोशिशों केबाद भी घड़ी नहीं मिली. उसने निश्चय
किया की वो इस काम में बच्चों की मदद लेगा और उसने
आवाज लगाई , ” सुनो बच्चों , तुममे से जो कोई भी मेरी खोई
घडी खोज देगा उसे मैं १०० रुपये इनाम में दूंगा.”
फिर क्या था , सभी बच्चे जोर-शोर दे इस काम में लगा गए…
वे हर जगह की ख़ाक छानने लगे , ऊपर-नीचे , बाहर, आँगन
में ..हर जगह…परघंटो बीत जाने पर भी घडी नहीं मिली.
अब लगभग सभी बच्चे हार मान चुके थे और किसान
को भी यहीलगा की घड़ी नहीं मिलेगी, तभी एक लड़का उसके
पास आया और बोला , ” काका मुझे एक मौका और दीजिये,
पर इस बार मैं ये काम अकेले ही करना चाहूँगा.”
किसान का क्या जा रहा था, उसे तो घडी चाहिए थी, उसने
तुरंत हाँ कर दी.
लड़का एक-एक कर के घर के कमरों में जाने लगा…और जब
वह किसान के शयन कक्ष से निकला तो घड़ी उसके हाथ में
थी.
किसान घड़ी देख प्रसन्न होगया और अचरज से पूछा ,”
बेटा, कहाँ थी ये घड़ी , और जहाँ हम सभी असफल हो गए
तुमने इसे कैसे ढूंढ निकाला ?”
लड़का बोला,” काका मैंने कुछ नहीं किया बस मैं कमरे में
गया औरचुप-चाप बैठ गया,और घड़ी की आवाज़ पर ध्यान
केन्द्रित करने लगा , कमरे में शांति होने के कारण मुझे
घड़ी की टिक-टिक सुनाईदे गयी , जिससे मैंने
उसकी दिशा का अंदाजा लगा लिया और आलमारी के पीछे
गिरी ये घड़ी खोज निकाली.”
Friends, जिस तरह कमरे की शांति घड़ी ढूढने में मददगार
साबित हुई उसी प्रकार मन की शांति हमें life की ज़रूरी चीजें
समझने में मददगार होती है . हर दिन हमें अपने लिए
थोडा वक़्त निकालना चाहिए , जसमे हम बिलकुल अकेले
हों ,जिसमे हम शांति से बैठ कर खुद से बात कर सकें और
अपनेभीतर की आवाज़ को सुन सकें , तभी हम life को और
अच्छे ढंग से जी पायेंगे .

Jun 27, 2013

आप का संकल्प सही हो तो अपने भाग्य को खुद बना सकते है !

एक बार की बात है की किसी स्कूल में एक बालक पढ़ने जाता था । जैसे दूसरे बालक भी जाते थे ।
यह बालक पढ़ने में थोड़ा कमजोर किस्म का था सो रोज ही मास्टर जी,के डंडों से मार खाता था । यह सिलसिला चलता- रहा, चलता- रहा !

एक दिनकी बात है की मास्टर जी, ने एक-एक बालक की सीट पर जा कर दिया हुआ कार्य चेक किया ।

... इस बालक ने अपने आदतानुसार काम नहीं किया था और अपने आप ही हथेली मास्टर जी के आगे कर दी मार खाने के लिए ।

मास्टर जी ने डंडा उठाया और हथेली की तरफ देखते ही डंडा रख दिया और कहा बेटे मै तुझे नाहक रोज ही मारता रहा हूँ, तेरे तो हाथ में तो विद्या की रेखा है ही नहीं ।

बस फिर क्या था बालक को यह बात चुभ गयी और उसने मास्टर जी से पूछा- मास्टर जी, मुझे बताईये की हाथ में विद्या- रेखा कहा होती है? मास्टर जी ,ने उसे विद्या- रेखा का स्थान बता दिया ।

बालक उसी क्षण गया और ब्लेड ले कर उस स्थान पर चीरा लगा कर वापिस कक्षा में आया । मास्टर जी, ने उसकी लहू-लुहान हथेली देखकर पूछा की यह कैसे हो गया ?

बालक ने बताया की मास्टर जी मैंने अपने हाथ में खुद ही विद्या की रेखा खींच
ली है ,अब आप मुझे पढ़ाईये, मै पढूंगा !

यही बालक बताते है की आगे चलकर संस्कृत का ‘पाणिनि’ बना जिसकी व्याकरण ” अष्टाध्यायी ” आज तक महाग्रन्थ माना जाता है! विश्व के विदेशी विद्वान् आज भी इस ग्रन्थ की कद्र करते है!

तो कहने का मतलब है की आप का संकल्प सही हो तो अपने भाग्य को खुद बना सकते है ! जैसा कक्षा के कमजोर बालक ने अपने ही संकल्प से महानता हासिल कर ली ।

Jun 26, 2013

"तुम्हारा मनपसंद केक बनाकर खिलाती हूँ"

एक लड़की अपनी माँ के पास अपनी परेशानियों का बखान
कर रही थी l वो परीक्षा में फेल हो गई थी l
सहेली से झगड़ा हो गया l
मनपसंद ड्रेस प्रैस कर रही थी वो जल गई l रोते हुए बोली,
मम्मी ,देखो ना , मेरी जिन्दगी के साथ
... सब कुछ उलटा -पुल्टा हो रहा है l माँ ने मुस्कराते हुए कहा,
यह उदासी और रोना छोड़ो,
चलो मेरे साथ रसोई में ,
"तुम्हारा मनपसंद केक बनाकर खिलाती हूँ"l
लड़की का रोना बंद हो गया और हंसते हुये बोली,"केक
तो मेरी मनपसंद मिठाई है"l कितनी देर में बनेगा, कन्या ने
चहकते हुए पूछा l
माँ ने सबसे पहले मैदे का डिब्बा उठाया और प्यार से कहा,
ले पहले मैदा खा ले l लड़की मुंह बनाते हुए बोली, इसे कोई
खाता है भला l माँ ने फिर मुस्कराते हुये कहा,"तो ले
सौ ग्राम
चीनी ही खा ले"l
एसेंस और मिल्कमेड का डिब्बा दिखाया और
कहा लो इसका भी स्वाद चख लो "माँ"आज तुम्हें
क्या हो गया है ? जो मुझे इस तरह की चीजें
खाने को दे रही हो ? माँ ने बड़े प्यार और शांति से जवाब
दिया,"बेटा"केक इन
सभी बेस्वादी चीजों से ही बनता है और ये सभी मिलकर
ही तो केक को स्वादिष्ट बनाती हैं . मैं तुम्हें सिखाना चाह
रही थी कि"जिंदगी का केक"भी इसी प्रकार
की बेस्वाद घटनाओं को मिलाकर बनाया जाता है l फेल
हो गई हो तो इसे चुनौती समझो मेहनत करके पास
हो जाओ l सहेली से झगड़ा हो गया है तो अपना व्यवहार
इतना मीठा बनाओ कि फिर कभी किसी से झगड़ा न
हो l यदि मानसिक तनाव के कारण"ड्रेस"जल गई तो आगे से
सदा ध्यान रखो कि
मन की स्थिति हर परिस्थिति में अच्छी हो l बिगड़े मन से
काम भी तो बिगड़ेंगे l कार्यों को कुशलता से करने के लिए मन
के चिंतन
को कुशल बनाना अनिवार्य ह

Jun 25, 2013

आज कल की बहू..

नई बहू जब ससुराल आई तो उसका जोरदार स्वागत किया गया..
स्वागत के बाद नई बहू ने निवेदन किया,
“मेरे प्यारे ससुराल वालो, आप लोगो ने मेरा जिस प्यार और आत्मीयता से स्वागत किया, उसके लिए आप सबका धन्यवाद! मैं आप सभी से कहना चाहती हूँ कि आज मैं इस घर में आई हूँ तो कभी ऐसा मत सोचना कि मैं आप लोगो की जिंदगी में कोई बदलाव लाऊंगी! विश्वास रखिये, सब कुछ जैसे अब तक चलता था, ठीक वैसे ही चलता रहेगा.”
...
ससुर ने पूछा – “तुम्हारे कहने का क्या मतलब है, बेटी ?”

बहू ने जवाब दिया – “मेरा मतलब है कि जो खाना पकाता है वो वैसे ही खाना पकाए, जो बर्तन साफ़ करता है वह वैसे ही बर्तन साफ़ करे, जो कपड़े धोता है वो वैसे ही कपड़े धोये, जो घर की साफ़-सफाई करता है वो वैसे ही सफाई करे और बाकी जो भी काम घर में होते है वो वैसे ही होते रहें जैसे मेरे आने से पहले होते थे!
सास ने पूछ लिया – “तो फिर तुम्हें किसलिए लाये हैं बहू??

बहू – “मैं तो बस …. आपके बेटे के मनोरंजन के लिए आई हूँ!!!”

जो अपनी शर्तों पर जीते हैं बल्कि खुशहाल वे हैं जो, जिन्हें वे प्यार करते हैं, उनके लिए बदल जाते हैं

पत्नी ने पति से कहा, "कितनी देर तक
समाचार पत्र पढ़ते रहोगे? यहाँ आओ और
अपनी प्यारी बेटी को खाना खिलाओ". पति ने समाचार पत्र
एक
तरफ़ फेका और
... बेटी की ध्यान दिया. बेटी की आंखों में आँसू
थे और सामने खाने की प्लेट. बेटी एक
अच्छी लड़की है और अपनी उम्र के बच्चों से
ज्यादा समझदार. पति ने खाने की प्लेट को हाथ में लिया और
बेटी से बोला,
"बेटी खाना क्यों नहीं खा रही हो? आओ
बेटी मैं खिलाऊँ." बेटी जिसे खाना नहीं भा रहा था, सुबक
सुबक
कर रोने लगी और कहने लगी, "मैं
पूरा खाना खा लूँगी पर एक
वादा करना पड़ेगा आपको." "वादा", पति ने बेटी को समझाते
हुआ
कहा,
"इस प्रकार कोई महँगी चीज खरीदने के लिए
जिद नहीं करते." "नहीं पापा, मैं कोई महँगी चीज के लिए जिद
नहीं कर रही हूँ." फिर बेटी ने धीरे धीरे
खाना खाते हुये कहा, "मैं अपने सभी बाल
कटवाना चाहती हूँ." पति और पत्नी दोनों अचंभित रह गए
और
बेटी को बहुत समझाया कि लड़कियों के
लिए सिर के सारे बाल कटवा कर
गंजा होना अच्छा नहीं लगता है. पर बेटी ने
जवाब दिया, "पापा आपके कहने पर मैंने
सड़ा खाना, जो कि मुझे अच्छा नहीं लग रहा था,
खा लिया और
अब वादा पूरा करने
की आपकी बारी है." अंततः बेटी की जिद के
आगे पति पत्नी को उसकी बात
माननी ही पड़ी. अगले दिन पति बेटी को स्कूल छोड़ने
गया....
बेटी गंजी बहुत ही अजीब लग रही थे.
स्कूल में एक महिला ने पति से कहा, "आपकी बेटी ने
एक बहुत ही बड़ा काम किया है. मेरा बेटा कैंसर
से पीड़ित है और इलाज में उसके सारे बाल
खत्म हो गए हैं. वह् इस हालत में स्कूल
नहीं आना चाहता था क्योंकि स्कूल में लड़के
उसे चिढ़ाते हैं. पर आपकी बेटी ने कहा कि वह्
भी गंजी होकर स्कूल आयेगी और वह् आ गई.
इस कारण देखिये मेरा बेटा भी स्कूल आ गया.
आप धनाया हैं कि आपके ऐसी बेटी है"
पति को यह सब सुनकर
रोना आ गया और
उसने मन ही मन सोचा कि आज बेटी ने
सीखा दिया कि प्यार क्या होता है. इस पृथ्वी पर खुशहाल वह्
नहीं हैं
जो अपनी शर्तों पर जीते हैं बल्कि खुशहाल वे
हैं जो, जिन्हें वे प्यार करते हैं, उनके लिए बदल
जाते हैं....