Jun 25, 2013

आज कल की बहू..

नई बहू जब ससुराल आई तो उसका जोरदार स्वागत किया गया..
स्वागत के बाद नई बहू ने निवेदन किया,
“मेरे प्यारे ससुराल वालो, आप लोगो ने मेरा जिस प्यार और आत्मीयता से स्वागत किया, उसके लिए आप सबका धन्यवाद! मैं आप सभी से कहना चाहती हूँ कि आज मैं इस घर में आई हूँ तो कभी ऐसा मत सोचना कि मैं आप लोगो की जिंदगी में कोई बदलाव लाऊंगी! विश्वास रखिये, सब कुछ जैसे अब तक चलता था, ठीक वैसे ही चलता रहेगा.”
...
ससुर ने पूछा – “तुम्हारे कहने का क्या मतलब है, बेटी ?”

बहू ने जवाब दिया – “मेरा मतलब है कि जो खाना पकाता है वो वैसे ही खाना पकाए, जो बर्तन साफ़ करता है वह वैसे ही बर्तन साफ़ करे, जो कपड़े धोता है वो वैसे ही कपड़े धोये, जो घर की साफ़-सफाई करता है वो वैसे ही सफाई करे और बाकी जो भी काम घर में होते है वो वैसे ही होते रहें जैसे मेरे आने से पहले होते थे!
सास ने पूछ लिया – “तो फिर तुम्हें किसलिए लाये हैं बहू??

बहू – “मैं तो बस …. आपके बेटे के मनोरंजन के लिए आई हूँ!!!”

जो अपनी शर्तों पर जीते हैं बल्कि खुशहाल वे हैं जो, जिन्हें वे प्यार करते हैं, उनके लिए बदल जाते हैं

पत्नी ने पति से कहा, "कितनी देर तक
समाचार पत्र पढ़ते रहोगे? यहाँ आओ और
अपनी प्यारी बेटी को खाना खिलाओ". पति ने समाचार पत्र
एक
तरफ़ फेका और
... बेटी की ध्यान दिया. बेटी की आंखों में आँसू
थे और सामने खाने की प्लेट. बेटी एक
अच्छी लड़की है और अपनी उम्र के बच्चों से
ज्यादा समझदार. पति ने खाने की प्लेट को हाथ में लिया और
बेटी से बोला,
"बेटी खाना क्यों नहीं खा रही हो? आओ
बेटी मैं खिलाऊँ." बेटी जिसे खाना नहीं भा रहा था, सुबक
सुबक
कर रोने लगी और कहने लगी, "मैं
पूरा खाना खा लूँगी पर एक
वादा करना पड़ेगा आपको." "वादा", पति ने बेटी को समझाते
हुआ
कहा,
"इस प्रकार कोई महँगी चीज खरीदने के लिए
जिद नहीं करते." "नहीं पापा, मैं कोई महँगी चीज के लिए जिद
नहीं कर रही हूँ." फिर बेटी ने धीरे धीरे
खाना खाते हुये कहा, "मैं अपने सभी बाल
कटवाना चाहती हूँ." पति और पत्नी दोनों अचंभित रह गए
और
बेटी को बहुत समझाया कि लड़कियों के
लिए सिर के सारे बाल कटवा कर
गंजा होना अच्छा नहीं लगता है. पर बेटी ने
जवाब दिया, "पापा आपके कहने पर मैंने
सड़ा खाना, जो कि मुझे अच्छा नहीं लग रहा था,
खा लिया और
अब वादा पूरा करने
की आपकी बारी है." अंततः बेटी की जिद के
आगे पति पत्नी को उसकी बात
माननी ही पड़ी. अगले दिन पति बेटी को स्कूल छोड़ने
गया....
बेटी गंजी बहुत ही अजीब लग रही थे.
स्कूल में एक महिला ने पति से कहा, "आपकी बेटी ने
एक बहुत ही बड़ा काम किया है. मेरा बेटा कैंसर
से पीड़ित है और इलाज में उसके सारे बाल
खत्म हो गए हैं. वह् इस हालत में स्कूल
नहीं आना चाहता था क्योंकि स्कूल में लड़के
उसे चिढ़ाते हैं. पर आपकी बेटी ने कहा कि वह्
भी गंजी होकर स्कूल आयेगी और वह् आ गई.
इस कारण देखिये मेरा बेटा भी स्कूल आ गया.
आप धनाया हैं कि आपके ऐसी बेटी है"
पति को यह सब सुनकर
रोना आ गया और
उसने मन ही मन सोचा कि आज बेटी ने
सीखा दिया कि प्यार क्या होता है. इस पृथ्वी पर खुशहाल वह्
नहीं हैं
जो अपनी शर्तों पर जीते हैं बल्कि खुशहाल वे
हैं जो, जिन्हें वे प्यार करते हैं, उनके लिए बदल
जाते हैं....

Jun 24, 2013

* सच्चा हिरा *


सायंकाल का समय था |
सभी पक्षी अपने अपने
घोसले में जा रहे थे |
तभी गाव कि चार ओरते
... कुए पर पानी भरने आई
और
अपना अपना मटका भरकर
बतयाने बैठ गई |
इस पर पहली ओरत
बोली अरे ! भगवान मेरे
जैसा लड़का सबको दे |
उसका कंठ
इतना सुरीला हें कि सब
उसकी आवाज सुनकर मुग्ध
हो जाते हें |
इसपर दूसरी ओरत
बोली कि मेरा लड़का इतन
हें कि सब उसे आज के युग
का भीम कहते हें |
इस पर तीसरी ओरत
कहाँ चुप रहती वह
बोली अरे !
मेरा लड़का एक बार
जो पढ़ लेता हें वह
उसको उसी समय कंठस्थ
हो जाता हें |
यह सब बात सुनकर
चोथी ओरत कुछ
नहीं बोली
तो इतने में दूसरी ओरत ने
कहाँ “ अरे ! बहन
आपका भी तो एक लड़का हें
ना आप उसके बारे में कुछ
नहीं बोलना चाहती हो”
|
इस पर से उसने कहाँ मै
क्या कहू वह
ना तो बलवान हें और
ना ही अच्छा गाता हें |
यह सुनकर
चारो स्त्रियों ने
मटके उठाए और अपने गाव
कि और चल दी |
तभी कानो में कुछ
सुरीला सा स्वर सुनाई
दिया | पहली स्त्री ने
कहाँ “देखा ! मेरा पुत्र आ
रहा हें | वह
कितना सुरीला गान
गा रहा हें |” पर उसने
अपनी माँ को नही देखा औ
उनके सामने से निकल
गया |
अब दूर जाने पर एक
बलवान लड़का वहाँ से
गुजरा उस पर दूसरी ओरत
ने कहाँ | “देखो !
मेरा बलिष्ट पुत्र आ
रहा हें |” पर उसने
भी अपनी माँ को नही देख
सामने से निकल गया |
तभी दूर जाकर
मंत्रो कि ध्वनि उनके
कानो में
पड़ी तभी तीसरी ओरत ने
कहाँ “देखो !
मेरा बुद्धिमान पुत्र आ
रहा हें |” पर वह
भी श्लोक कहते हुए वहाँ से
उन
दोनों कि भाति निकल
गया |
तभी वहाँ से एक और
लड़का निकला वह उस
चोथी स्त्री का पूत्र
था |
वह अपनी माता के पास
आया और माता के सर पर
से पानी का घड़ा ले
लिया और गाव कि और
गाव कि और निकल पढ़ा |
यह देख
तीनों स्त्रीयां चकित रह
गई | मानो उनको साप
सुंघ गया हो | वे
तीनों उसको आश्चर्य से
देखने लगी तभी वहाँ पर
बैठी एक वृद्ध महिला ने
कहाँ “देखो इसको कहते हें
सच्चा हिरा”
“ सबसे पहला और सबसे
बड़ा ज्ञान संस्कार
का होता हें जो किसे और
से नहीं बल्कि स्वयं हमारे
माता-पिता से प्राप्त
होता हें | फिर भले
ही हमारे माता-
पिता शिक्षित
हो या ना हो यह ज्ञान
उनके
अलावा दुनिया का कोई
भी व्यक्ति नहीं दे
सकता ह

Jun 20, 2013

दो भाई थे। एक की उम्र 8 साल दूसरे की 10 साल।

दो भाई थे। एक की उम्र 8 साल दूसरे की 10 साल।
दोनों बड़े ही शरारती थे। उनकी शैतानियों से
पूरा मोहल्ला तंग आया हुआ था। माता-पिता रात-दिन
इसी चिन्ता में डूबे रहते कि आज पता नहीं वे
दोनों क्या करेंगे।
... एक दिन गांव में एक साधु आया।

लोगों का कहना था कि बड़े ही पहुंचे हुए महात्मा है।

जिसको आशीर्वाद दे दें उसका कल्याण हो जाये।
पड़ोसन ने बच्चों की मां को सलाह दी कि तुम अपने
बच्चों को इन साधु के पास ले जाओ। शायद उनके
आशीर्वाद से उनकी बुध्दि कुछ ठीक हो जाये।

मां को पड़ोसन की बात ठीक लगी। पड़ोसन ने यह
भी कहा कि दोनों को एक साथ मत ले
जाना नहीं तो क्या पता दोनों मिलकर वहीं कुछ शरारत
कर दें और साधु नाराज हो जाये।

अगले ही दिन मां छोटे बच्चे को लेकर साधु के पास
पहुंची। साधु ने बच्चे को अपने सामने बैठा लिया और
मां से बाहर जाकर इंतजार करने को कहा।
साधु ने बच्चे से पूछा- बेटे, तुम भगवान को जानते
हो न? बताओ, भगवान कहां है?

बच्चा कुछ नहीं बोला बस मुंह बाए साधु की ओर
देखता रहा।

साधु ने फिर अपना प्रश्न दोहराया पर बच्चा फिर
भी कुछ नहीं बोला।

अब साधु को कुछ चिढ़ सी आई, उसने
थोड़ी नाराजगी प्रकट करते हुये कहा- मैं क्या पूछ
रहा हूं तुम्हें सुनाई नहीं देता, जवाब दो, भगवान
कहां है?

बच्चे ने कोई जवाब नहीं दिया बस मुंह बाए साधु
की ओर हैरानी भरी नजरों से देखता रहा।
अचानक जैसे बच्चे की चेतना लौटी। वह उठा और
तेजी से बाहर की ओर भागा। साधु ने आवाज दी पर
वह रूका नहीं सीधा घर जाकर अपने कमरे में पलंग के
नीचे छुप गया। बड़ा भाई, जो घर पर ही था, ने उसे
छुपते हुये देखा तो पूछा- क्या हुआ? छुप क्यों रहे
हो?

"भैया, तुम भी जल्दी से कहीं छुप जाओ।" बच्चे ने
घबराये हुये स्वर में कहा।

"पर हुआ क्या?" बड़े भाई ने भी पलंग के नीचे घुसने
की कोशिश करते हुये पूछा।

"अबकी बार हम बहुत बड़ी मुसीबत में फंस गये हैं।

भगवान कहीं गुम हो गया है और लोग समझ रहे हैं
कि इसमें हमारा हाथ है !"

एक राजस्थानी व्यापारी मुबंई की बैँक मेँ गया,

एक राजस्थानी व्यापारी मुबंई की बैँक मेँ गया,
और बैँक मेनेजर से रु.50,000 का लोन मांगा.
बैँक मेनेजर ने गेरेँटर मांगा.
राजस्थानी ने अपनी BMW कार जो बैँक के
सामने पार्क की हुई थी उसको गेरेँटी के तरीके से
... जमा करवा दी.
मेनेजर ने गाडी के कागज चैक किए,
और लोन देकर गाडी को कस्टडी मेँ खडी करने के
लिए कर्मचारी को सुचना दी.
राजस्थानी 50,000 रुपये लेकर चलागया.
बैँक मेनेजर और कर्मचारी उस राजस्थानी पर
हँसने लगे और बात करने लगे कि यह
करोडपति होते हुए भी अपनी गाडी सिर्फ
50,000 मेँ गिरवी रख कर चला गया.
कितना बेवकुफ आदमी है.
उसके बाद 2 महीने बाद राजस्थानी वापस बैँक
मे
गया और लोन की सभी रकम देकर
अपनी गाडी वापस लेने की इच्छा दर्शायी.
बैँक मेनेजर ने हिसाब-किताब किया और बोला :
50,000 मुल रकम के साथ 1250 रुपये ब्याज.
राजस्थानी ने पुरे पैसे दे दिए.
बैँक मेनेजर से रहा नही गया और उसने पुछा :
कि आप इतने करोडपति होते हुए
भी आपको 50,000 रुपयो कि जरुरत कैसे
पडी.?
राजस्थानी ने जवाब दिया : मैँ राजस्थान से
आया था.
मैँ अमेरिका जा रहा था.
मुबंई से मेरी फ्लाइट थी.
मुबंई मेँ मेरी गाडी कहा पार्क करनी है यह
मेरी सबसे बडी प्रोबलम थी.
लेकिन इस प्रोबलम को आपने हल कर दिया.
मेरी गाडी भी सेफ कस्टडी मेँ दो महीने तक
संभाल
के रखा और 50,000 रुपये
खर्च करने के लिए भी दिए दोनो काम करने
का चार्ज लगा सिर्फ 1250 रुपये.
आपका बहुत बहुत धन्यवाद.!
इसिलिए कहते दोस्तो कि "जहा ना पहुचे कोई
गाडी , वहा पहुच जाता है मारवाडी"