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Jan 21, 2013

कल "किसी" ने अपने भाषण मेँ कहा कि माँ रोई.....!!!


कल "किसी" ने अपने भाषण मेँ कहा कि माँ रोई!!!

मैँ कहता हुँ कि इस देश में माँ तो होती ही रोने के लिए है। उन साढ़े तीन लाख किसानो की माँएं भी रोई ही होंगी जिन्होंने आत्महत्या की। सुदूर गांवों, छोटे कस्बों, जिलों में भूख, गरीबी, ठण्ड, अभाव और बिना इलाज़ के मरने वाले बच्चों की माँ भी रोती तो होंगी ही। गरीबी से तंग आ के जब पूरा का पूरा परिवार ही आत्महत्या कर लेता है तो उसमे तो माँ ही नहीं बचती है रोने के लिए। माँ को कहो की थोडा उन का भी रोना रो लें जिन जिन की माँ रोई;

Jan 20, 2013

जज्‍बाती हुए राहुल गांधी , कहा- मेरे पास आकर रोईं मेरी मां...


जयपुर के चिंतन शिविर में कांग्रेस के वाइस प्रेसिडेंट बनाए जाने के बाद राहुल गांधी पहली बार भाषण देते हुए जज्‍बाती हो गए। उन्‍होंने कहा, 'जिन पुलिसवालों से मैंने बैडमिंटन सीखा, उन्‍होंने मेरी दादी की हत्‍या कर दी। मैंने उस वक्‍त अपने पिता (राजीव गांधी) को रोते देखा। कल रात मेरी मां मेरे पास आईं और रोने लगीं। मेरी मां इसलिए रोईं क्‍योंकि वो जानती हैं कि सत्‍ता जहर की तरह है।' राहुल ने कहा कि कांग्रेस में हिंदुस्‍तान का 'डीएनए' है। यह महज एक पार्टी नहीं, बल्कि एक परिवार है। उन्होंने संगठन को मजबूत करने का आह्वान करते हुए कहा, 'हमें 40 से 50 ऐसे नेता तैयार करने हैं जो देश को चला सकें। हमें कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और नेताओं का सम्‍मान करना चाहिए। चुनाव के वक्‍त बागी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। मैं जज का काम करूंगा, वकील का नहीं।' राहुल ने कहा कि अब कांग्रेस पार्टी ही उनकी जिंदगी है और वो पूरी ताकत से पार्टी और देश की सेवा करेंगे। उन्‍होंने कहा, 'मैंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के अनुभवों से बहुत कुछ सीखा है और उसका प्रयोग अपने आनेवाले राजनीतिक जीवन में करना चाहता हूं।' राहुल ने कहा, 'पिता जी कहते थे कि 100 में से 15 पैसा लोगों के पास पहुंचता है। लेकिन हमारी सरकार वो काम कर रही है जिससे 100 में से 99 पैसे पहुंचेंगे।' राहुल ने कार्यकर्ताओं का आभार व्‍यक्‍त करते हुए विपक्ष पर निशाना साधा। 'आधार' योजना को लेकर विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए राहुल ने कहा कि कैश सब्सिडी योजना लोगों को उनका हक दिलाती है, यह घूसखोरी नहीं है। जो भ्रष्‍ट हैं वो ही भ्रष्‍टाचार मिटाने की बात करते हैं। जो महिलाओं का सम्‍मान नहीं करते वो सम्‍मान की बात करते हैं। कांग्रेस देश के हर नागरिक के बारे में सोचती है और सभी के लिए काम करती है। उन्‍होंने सवाल उठाते हुए कहा कि कुछ लोगों के हाथ में ही सत्‍ता की चाबी क्‍यों है। राजनीति में युवाओं की भागीदारी जरूरी है।

इन सबके बीच, कांग्रेस ने जहां राहुल गांधी को नई जिम्‍मेदारी दे दी है, वहीं भाजपा में गडकरी को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। भाजपा का एक गुट गडकरी को अध्‍यक्ष बनाए जाने के खिलाफ है। दूसरी ओर, राहुल गांधी को मिली नई जिम्मेदारी चुनौतियों से भरपूर है। उन्हें वर्ष 2013 में नई टीम के सहारे देश के नौ राज्यों के चुनाव में खुद को साबित करना होगा। राहुल गांधी को कांग्रेस का उपाध्‍यक्ष बनाए जाने के बाद से भाजपा में खलबली मची हुई है। सड़क से लेकर फेसबुक तक पर भाजपा नेता और कार्यकर्ता अपनी भड़ास निकाल रहे हैं। भाजपा प्रवक्‍ता शहनवाज हुसैन का कहना है कि राहुल गांधी की नई जिम्‍मेदारी से भाजपा को कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

Jan 17, 2013

CNN-IBN में पत्रकार सुहासिनी हैदर द्वारा नरेंद्र मोदी जी का लिया गया इंटरव्यू ...


सुहासिनी –

मोदी जी कल हम आपके गाँव वडनगर से होके आये हैं और हमें वहाँ आपके बचपन से लेके बड़े होने तक कि बहुत सारी घटनाएं पता चली ,जैसे हमें वहाँ गाँव के लोगों से पता लगा कि आपको नदी में तैराकी करने का बहुत शौक था ,हमें लोगों ने बताया कि एक बारी आप एक मगरमच्छ भी पकड़कर ले आये थे आदि आदि ,आपकी यादें क्या हैं वडनगर की ??

नरेंद्र मोदी –

दरअसल मैं मेरे गाँव के दिन...ों में एक बहुत अच्छा debater ( बहस एवं तर्क करने वाला ) था , इसके लिए मैं पढाई बहुत करता था , सारा-२ दिन लाइब्रेरी में किताबें पढता था , लेकिन एक बात मुझे अच्छे से याद है कि जब भी कोई प्राकृतिक आपदा होती थी तो पता नहीं क्यों मैं उसी समय काम में लग जाता था चाहे वो विपत्ति मेरे गाँव से 200 km दूर ही क्यों ना आई हो , और मुझे याद है 1962 में जब भारत-पाकिस्तान का युद्ध हुआ था तब मैं छोटा बच्चा था उस समय जब सेना के जवान मेहसाणा रेलवे स्टेशन के पास से गुजरते थे तो मैं उनको चाय-बिस्कुट इत्यादि देने में असीम आनंद का अनुभव करता था ,ये वाले जो पल हैं इन्हें मैं कभी नहीं भूल पाता हूँ क्योंकि बहुत अच्छा लगता है कि बचपन में भी देश कि सेवा करने का एक छोटा सा मौका मुझे मिला था

सुहासिनी –

आपने RSS ( संघ ) को क्यों ज्वाइन किया ??


नरेंद्र मोदी –

संघ से मेरा नाता मेरे बचपन से ही शुरू हो गया था , कब शुरू हुआ ये मुझे ध्यान नहीं लेकिन संघ कि एक पद्धति रहती है कि वे आपको बहुत प्रेम देते हैं , बहुत अपनापन देते हैं और जीवनभर का आपसे रिश्ता बना लेते हैं और उसे निभाते भी हैं और उसके कारण मैं तो खुद को बहुत भाग्यशाली मानता हूँ कि संघ के बहुत से महान तपस्वी जीवन जीने वाले व्यक्तियों का मेरे सिर पर हाथ रहा है और मुझे उनके आशीर्वाद मिले हैं

सुहासिनी –

जब आप पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे तो आपके पास सरकार चलाने का कोई अनुभव नहीं था , आपने फिर ये सरकार चलाना कहाँ से सीखा ??

नरेंद्र मोदी –

ये बात सही है कि जब मैं पहली बार मुख्यमंत्री बना तो उस समय तक मैंने कोई चुनाव नहीं लड़ा था , यहाँ तक कि स्कुल में कभी मोनिटर का चुनाव तक नहीं लड़ा था , मेरी ये चुनाव वगैरह लड़ने में कोई रूचि नहीं होती थी क्योंकि मैं जमीनी स्तर पर काम करने वाले संगठन से जुड़ा इंसान रहा हूँ , लेकिन जब बाद में ये सरकार चलाने का काम मेरे जिम्मे दिया गया तो मैंने बस सीखना शुरू कर दिया और सीख गया


सुहासिनी –

आपका कोई ऐसा फैसला है जो आप बदलना चाहें या आपको लगे कि ये फैसला सफल नहीं हो पाया ??

नरेंद्र मोदी –

पहली बात है कि कोई भी व्यक्ति perfect नहीं होता है ,अगर मैं भी ये कहूँ कि मैं बिलकुल perfect हूँ तो मेरे जैसा मुर्ख कोई दूसरा नहीं होगा , मुझमें भी बहुत सारी कमियाँ हैं और मेरी सबसे बड़ी कमी ये है कि मुझे खुद कि कमियाँ कम दिखती हैं ,कई बार मेरे साथी लोग दिखाते हैं तो मेरे ध्यान में आता है कि हाँ भई यहाँ पर थोड़ी कमी रह गई है और फिर मैं उनको ठीक कर लेता हूँ , जहाँ तक बात मेरे किसी फैसले कि है तो मेरा तो वहाँ भी यही मानना है कि अगर मेरे किसी फैसले में भी कोई कमी रह गई हो तो मुझे उसको भी ठीक करना चाहिए क्योंकि आखिर लोकतंत्र ही एक ऐसी ताकत है जो कि आपको आपकी गलती को ठीक करने का अवसर देता है


सुहासिनी –

एक छोटे से गाँव वडनगर से गुजरात के गांधीनगर पर विराजमान होने कि ये जो आपकी पूरी यात्रा रही है ये काफी ऐतिहासिक और आश्चर्यजनक है ,आपको क्या लगता है ??

नरेंद्र मोदी –

मेरे मन में कभी भी ये रहा ही नहीं कि मुझे कुछ बनना है ,हमेशा से सिर्फ एक ही बात रही है कि मुझे कुछ करना है

सुहासिनी –

IT MEANS YOU DON’T HAVE ANY AMBITIONS

नरेंद्र मोदी –

YES I DON’T HAVE ANY AMBITION , I SIMPLY HAVE A MISSION and I AM COMMITTED TO THAT MISSION

सुहासिनी –

गुजरात में लोग आपको आपकी पार्टी बीजेपी से भी बड़ा मानते हैं , आपके विरोधी कहते हैं कि गुजरात में जितने भी चुनाव होते हैं सबमें हर बार जीत नरेंद्र मोदी कि वजह से ही होती है , बीजेपी का उसमें कुछ रोल नहीं होता


नरेंद्र मोदी –

देखिये कुछ लोग जब किसी चीज को स्वीकार नहीं कर पाते हैं जैसे कि मेरे बारे में इतना नेगेटिव बोला गया ,इतनी झूठी बातें मेरे बारे में फैलाई गई ,मेरे खिलाफ सब कुछ करके देख चुके उसके बावजूद भी जब मुझे हिला तक नहीं सके तो फिर उनका अहंकार उन्हें सच्चाई स्वीकार नहीं करने देता ,वे स्वीकार करते भी हैं तो उसमें किन्तु,परन्तु लगाकर और इसीलिए गुजरात में बीजेपी कि विजय को जब वे बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं तो ये सब विवाद डालने कि तरकीबें अपनाते हैं कि भई ये तो मोदी कि जीत है ,बीजेपी कि नहीं है

सुहासिनी –

हमनें अहमदाबाद कि रैली में देखा कि आपने अपना भाषण लाल कृष्ण आडवाणी के भाषण के बाद दिया ,लोगों ने हमें बताया कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि गुजरात में जनता सिर्फ आपको सुनने के लिए आती है और बीजेपी को डर था कि आपके आडवाणी से पहले भाषण देने के बाद जनता वहाँ से चली जायेगी और वो अडवानी जी का भाषण नहीं सुनेगी ,तो क्या ये साबित नहीं करता कि आज आपका कद आपकी खुद कि पार्टी बीजेपी से भी बड़ा हो चुका है ??


नरेंद्र मोदी –

ऐसी कोई बात नहीं है ,जिस रैली कि आप बात कर रही हैं उसमें दरअसल तय ये हुआ था कि आडवाणी जी मुझसे पहले बोलेंगे और उसके बाद मैं उन विषयों पर विस्तार से बोलूँगा जिन पर आडवाणी जी संक्षेप में बोलें हैं

सुहासिनी –

लेकिन आज अगर देश में कोई नेता प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कोंग्रेस के खिलाफ सबसे ज्यादा बोलता है तो वो आप हैं ,ऐसा क्यों ??


नरेंद्र मोदी –

मैं हैरान हूँ कि हमारा ये ऐसा-कैसा लोकतंत्र है कि मोदी को तो जितनी गालियाँ देनी हों दी जा सकती हैं लेकिन अगर मैं कोंग्रेस या मनमोहन सिंह पर कोई सवाल भी उठाऊं तो आप मीडियावालों को उसमें भी परेशानी है , कमाल है

सुहासिनी –

क्या बीजेपी आज भी हिंदुत्व के मुद्दे को अपने साथ रखती है ??

नरेंद्र मोदी –

हिंदुत्व के बारे में आप जानती क्या हैं


सुहासिनी –

चलिए छोडिये इस सवाल को ,दूसरी बात करते हैं

नरेंद्र मोदी –

नहीं नहीं ,मुझे एक बारी बताइए कि क्या आपको मालुम भी है कि हिंदुत्व है क्या

सुहासिनी –

मैंने इसलिए पूछा क्योंकि बीजेपी आज भी राम मंदिर के बारे में बोलती है


नरेंद्र मोदी –

राम मंदिर कार्यक्रम है या हिंदुत्व है ,मुझे पहले ये समझा दीजिए


सुहासिनी –

ये हिंदुत्व का ही तो हिस्सा है वरना आप बता दीजिए कि क्या है हिंदुत्व

नरेंद्र मोदी –

मैं बताता हूँ आपको कि क्या है हिंदुत्व , हिंदुत्व कहता है ‘’ सर्वधर्म समभाव ‘’ यानी सभी धर्मों का सम्मान हो और सभी धर्मों के प्रति हमारे भीतर अच्छे और समान भाव हों , जरा आप बताएंगी कि इस देश में कौन है जो इस बात का विरोध करेगा, हिंदुत्व कहता है ‘’ एकमसत् विप्राः बहुधा वधंती ‘’ यानी सत्य एक है अलग-२ लोग उसको अलग-२ प्रकार से कहते हैं चाहे वो गीता के जरिये कहें या कुरआन के जरिये या महाभारत के जरिये या रामायण इत्यादि के जरिये , हिंदुत्व कहता है ‘’ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया सर्वे भद्राणि पश्यन्ते मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत् ।। ‘’ यानी सभी सुखी हों सबको आरोग्य मिले सबको अच्छी शिक्षा-दीक्षा मिले ये कहता है हिंदुत्व , है कोई इस देश में जो इसका विरोध करेगा

सुहासिनी –

आप वाईब्रेंट गुजरात के बारे में बोलते हैं लेकिन आपके विरोधी कोंग्रेस के लोग कहते हैं कि आप पांच करोड़ गुजरातियों कि जगह सिर्फ पांच करोड़पति गुजराती कि बात करते हैं

नरेंद्र मोदी –

मैं वाईब्रेंट गुजरात कि समिट 2 साल में सिर्फ 1 बार करता हूँ और वो भी सिर्फ 2 दिनों के लिए लेकिन मैं हर साल एक कृषि महोत्सव करता हूँ जो 30 दिन का होता है , वाईब्रेंट गुजरात कि समिट में मेरे एक हजार से ज्यादा सरकारी कर्मचारी नहीं लगते हैं लेकिन जो कृषि महोत्सव मैं करता हूँ उसमें मैं गाँवों में और खेतों में अपनी पूरी कि पूरी सरकार को लेके जाता हूँ जिसमें कि मेरी सरकार के 1 लाख से ज्यादा सरकारी कर्मचारी शामिल होते हैं , मैं और मेरे सभी साथी महीने भर मई-जून कि भरी गर्मी में गाँव में रहते हैं और अभियान चलाते हैं ,क्या ये मैं मेरे पांच करोड़ गुजरातियों के लिए नहीं करता हूँ , 13-14-15 जून को जहाँ 44-45 डिग्री का Temperature होता है वहाँ मेरी सरकार के सभी मंत्री ,मेरी सरकार के सभी IAS-IPS Officers और मैं गांव में रहते हैं और उन तीनों दिन घर-२ जाकर बच्चों को स्कुल में लेकर जाते हैं ,क्या ये मैं मेरे पांच करोड़ गुजरातियों के लिए करता हूँ कि नहीं करता हूँ , मैं पूरे गुजरात के अंदर चेक डैम का अभियान चला रहा हूँ अब तक मैंने 3 लाख चेक डैम बनाएँ हैं ,पूरे देश में पानी का स्तर नीचे जा रहा है लेकिन मेरे यहाँ मैं पानी का स्तर ऊपर ला रहा हूँ ,तो क्या मैं ये मेरे पांच करोड़ गुजरातियों के लिए कर रहा हूँ के नहीं कर रहा हूँ , जो वाईब्रेंट गुजरात समिट में 2 साल में 1 बार और वो भी सिर्फ दो दिन के लिए करता हूँ उस पर मेरी बुराई करने के लिए तो आपके पास तरह-२ के शब्द हैं मुहावरें हैं लेकिन हर वर्ष एक महीने तक गाँव-२ जाकर भरी गर्मी में मिटटी खाने वाली मेरी पूरी सरकार जो पसीना बहाती है राज्य कि भलाई के लिए उसकी प्रशंसा करने के लिए आपके पास दो शब्द तक नहीं हैं ,आपके मीडिया कि इसी दिशा के कारण मुझे कहना पड़ता है कि इससे बड़ा देश का दुर्भाग्य और क्या हो सकता है कि सही काम को आप लोग दिखाते नहीं और झूठ को दस-२ दिन तक चलाते रहते हो

सुहासिनी –

आपने गुजरात का इतना विकास किया है ,उसे आज नई ऊचाइयों पर पहुंचा दिया है लेकिन 2002 दंगों को लेकर आप पर आरोप लगते हैं कि आपने हिंदुओं पर एक्शन नहीं होने दिया लेकिन अब इस सबको दस साल हो चुके हैं ,आज आपको देश के अगले प्रधानमंत्री के तौर पर देखा जा रहा है तो क्या अब हम मान सकते हैं कि अगर दौबारा गुजरात में कभी वैसी ही दंगों वाली स्तिथि बनी तो अबकी बार आपका उन्हें हैंडल करने का तरीका अलग होगा ??


नरेंद्र मोदी –

आप गुजरात का अच्छा सोचिये ना बुरा क्यों सोचती हैं

सुहासिनी –

फिर भी बताइए तो अगर दौबारा वैसा हुआ तो आप थोड़ा अलग तरह से उसे हैंडल करेंगे या नहीं




नरेंद्र मोदी –

क्या फिर भी ,आप क्यों ऐसा सोचती हैं कि दौबारा वैसा होना चाहिए ,आपसे गुजरात का अच्छा क्यों नहीं सोचा जाता ,आप अच्छा सोचिये ना गुजरात का




सुहासिनी –

हम तो अच्छा ही सोचते हैं गुजरात का




नरेंद्र मोदी –

बस तो फिर सब अच्छा ही होगा

भारत के मुसलमानों ... तथाकथित धूर्त मुस्लिम नेताओ को पहचानो .. ये ओबैसी जैसे लोग कभी सच्चे मुसलमान हो ही नही सकते ...


आज अदालत में धूर्त ओबैसी ने अदालती परम्परा के अनुसार कुरान की शपथ ली .."मै कुराने पाक की कसम खाकर कहता हूँ मै जो कुछ कहूँगा सच कहूँगा और सच के सिवाय कुछ नही कहूँगा" | सब जानते है की अदालतों में हिन्दुओ को गीता और मुसलमानों को कुरान की कसम खिलाई जाती है |

फिर इसने कहा की भाषण में उसकी आवाज है ही नही ये मुझे फसाने की चाल है | इस बात पर कोर्ट में मौजूद तमाम मुस्लिम लोग हक्के बक्के रह गये क्योकि उनमे से सैकड़ो लोग उस जलसे में मौजूद थे जिसमे उसने ये भाषण दिया था | बहार निकलकर कई मुस्लिम लोग इस ओबैसी को लानत भेज रहे थे की इसने कुरान-ए-पाक की झूठी कसम सिर्फ इसलिए खाई है ताकि ये जेल न जाए ..
...
ओबैसी के इस सफेद झूठ पर जज भी भौचक्के रह गये उन्होंने कहा की आप मुसलमानों के रहनुमा बनते हो फिर कुरान की कसम खाकर झूठ बोलते हो ? फिर भी धूर्त ओबैसी ने कहा की भाषण में उसकी आवाज नही है .. इस पर अदालत ने कहा की सोच लो तुम्हारी आवाज के सैम्पल को अदालत फोरेंसिक जाँच के लिए भेजेगी फिर तुम मुसलमान कहने के लायक नही रहोगे क्योकि कोई भी मुसलमान सिर्फ चंद महीनों के सजा के लिए कुरान की झूठी कसम नही खायेगा |

फिर अदालत ने धूर्त ओबैसी के आवाज के सैम्पल को फोरेंसिक जाँच के लिए भेजने के आदेश दे दिए |

ये खबर जैसे ही हैदराबाद में फैली ओबैसी के समर्थक ओबैसी से नाराज हो गये ..और जो लोग इसकी गिरफ्तारी के खिलाफ आन्दोलन चला रहे थे वो लोग चुपचाप अपने घरो को चले गये .. एक समर्थक ने कहा की मै खुद उस सभा में मौजूद था ओबैसी ने कुरान की झूठी कसम खाकर मेरा दिल तोड़ दिया है ..

मुझे ताज्जुब है की आज कोई भी मुस्लिम नेता ने कुरान की झूठी कसम खाने वाले धूर्त ओबैसी के खिलाफ कोई फतवा जारी नही किया | दारुल उलूम क्यों खामोश है ?
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[ याद करो कल्याण सिंह को जिन्होंने कोर्ट में कहा की मैंने बाबरी मस्जिद गिराई मुझे जो सजा कोर्ट देगी मंजूर है .. याद करो बालठाकरे को जिन्होंने जेल जाना स्वीकार किया लेकिन झूठ नही बोला ... ]

Jan 16, 2013

KBC मेँ 5 करोङ जितने वाली पहली महिला को पुछे गये सवाल...


1. छोले के साथ परोसे जाते है?-भटुरे

3.पंजाब की पारम्परीक कसीदाकारी है?-
फुलवारी

... 5. शरीर का सबसे लम्बा आँरगन है?- त्वचा
6. किसने कहा था 'उनका सपना मुंबई को शंघाई
बनाना है?- विलासराव देशमुख

7. सीरस, स्ट्रटस, क्युमूल्स किसके प्रकार है?- बादल

8. किस खेल का नाम एक जगह के नाम पर पङा है? -
मेराथन

9. 1610 मेँ सबसे पहले शनी ग्रह को टेलिस्कोप
की सहायता से किसने देखा था?-
गैलीलियो गैलीली

10. कौनसे नेता सबसे अधिक समय तक कांग्रेस
पार्टी के अध्यक्ष रहे है- सोनिया गाँधी
11. 1846 मेँ गुलाब सिँह ने अंग्रेजो से 75 लाख रुपए मेँ
क्या खरीदा था?- कश्मीर

12.डाँ. सुभाष मुखर्जी द्वारा IVF तकनीक से
विकसीत भारत की पहली टेस्ट ट्युब बेबी का नाम है
- दुर्गा

13. दुनिया की दुसरी सबसे ऊंची पर्वत चोटी K2 पर
सफलतापूर्वक चढने वाली पहली महिला है।-
वांडा रुत्कीविच

Jan 12, 2013

'हम दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे हैं, वे गर्दन काट रहे हैं'


'सरकार शहीद पति का सिर गांव लेकर आए, तब ही मुझे संतुष्टि मिलेगी, उनकी आत्मा को भी शांति मिलेगी।'पाकिस्तानी सैनिकों की बर्बरता के कारण अपने पति के अंतिम दर्शन नहीं कर पाईं शहीद हेमराज की पत्नी धर्मवती रोते हुए बार-बार यही शब्द दोहरा रही थीं। उन्होंने कहा,'सरकार पाकिस्तान के साथ दोस्ती की बात करती है। हम दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे हैं और वह गर्दन काट रहे हैं।'

गुरुवार को वह एक तरफ रोती रहतीं और दूसरी तरफ पति के अंतिम दर्शन नहीं कर पाने की दुहाई देती जातीं। परिजन और गांव की महिलाएं उनको संभालने की कोशिश करते पर वे भी हार मान लेते। बस एक ही वाक्य उनके मुंह से निकलता,'मैं उनका आखिरी बार चेहरा भी नहीं देख पाई।'
...
'अंतिम दर्शन नहीं कराए'
रुंधे गले से धर्मवती बोलीं कि गांव में बुधवार की रात जब उनके पति का शव आया तो सेना के जवानों ने उनको और बच्चों को अंतिम दर्शन नहीं कराए। वह गुहार करती रहीं लेकिन उनको पति के पार्थिव शरीर से अलग कर अंतिम संस्कार कर दिया गया। तीन माह से बच्चों ने पिता को नहीं देखा था। बच्चे भी पिता के दर्शन करने के लिए हो-हल्ला मचाते रहे। लेकिन कोई सुनने वाला नहीं था।'कहकर गए थे कि सात फरवरी को आएंगे, लेकिन उससे पहले उनका शव गांव आ गया। मैं उनके अंतिम दर्शन भी नहीं कर सकी।'

'शहीद पति का सिर लाए सरकार, तभी मिलेगी शांति'
आंसुओं के बीच धर्मवती की आंखों में आक्रोश भी झलका। उन्होंने एका एक कहा,'सरकार पाकिस्तान के साथ दोस्ती की बात करती है। हम दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे हैं और वह गर्दन काट रहे हैं। क्या सरकार ऐसा ही करती रहेगी। उनकी आत्मा को शांति तो तभी मिलेगी जब केंद्र सरकार और सेना के जवान ईंट का जवाब पत्थर से दें, उसके पति का सिर गांव लाएं और उनका दर्शन कराएं।'
सरकारी रवैये से गांव वालों में गुस्सा
खैरार गांव के लोगों के दिलों में यही टीस है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव क्यों नहीं आए? गांव ही नहीं पूरी तलहटी में इस बात को लेकर आक्रोश है कि एक शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए सरकार की ओर से कोई नहीं आया। बुधवार रात शहीद हेमराज का अंतिम संस्कार कर दिया गया। अफसर भी एक-एक कर चले गए। अधिकारियों में से किसी ने परिजनों को सांत्वना के दो शब्द नहीं कहे। गुरुवार को शासन और प्रशासन की इस उपेक्षा से आक्रोश पनप उठा। आनन-फानन में मुख्यमंत्री का पुतला तैयार किया और फूंक दिया।

कुंभ नहान में बनारसी अव्वल......


कुंभनगरी : संगम पर पवित्र स्नान करने वालों में बनारस के श्रद्धालुओं का कोई सानी नहीं। यह अंग्रेजी हुकूमत के समय जुटाए गए एक आंकड़े से स्पष्ट हुआ है। 1882 के कुंभ में अंग्रेजों ने संगम आने वाले सभी प्रमुख रास्तों पर बैरियर लगाकर आने वालों की गिनती की थी। इसके अलावा रेलवे टिकट की बिक्री के आंकड़ों को भी आधार बनाकर कुल स्नान करने वालों की संख्या का अनुमान लगाया गया था। आंकडों के अनुसार बनारस से 34821, कानपुर से 31275 व जबलपुर से 24876 लोग कुंभ में पहुंचे थे। देश के अन्य हिस्सों को मिलाकर लगभग दस लाख लोगों ने कुंभ स्नान किया था। दस्तावेजों के अनुसार 1882 के कुंभ में आठ लाख 39 हजार लोग सड़क के रास्ते से प्रयाग पहुंचे थे। जीटी रोड से 39 हजार, सराय अकिल रोड से 25 हजार, लिंक रोड से 50 हजार ने प्रयाग की धरती पर कदम रखा था। इसके अतिरिक्त तकरीबन एक लाख लोग विभिन्न छोटे रास्तों से पहुंचे थे। स्नान करने वालों में लगभग 50 हजार लोग स्थानीय थे। बनारस स्थित राजघाट और फाफामऊ पुल पर टोल टैक्स भी वसूले जाने का जिक्र किया गया है। 1882 में बिके थे सवा लाख टिकट : 1882 की एक जनवरी से 19 जनवरी तक देश के विभिन्न स्टेशनों से प्रयाग के लिए एक लाख 25 हजार टिकट बेचे गए थे। बेचे गए टिकटों के अनुसार दिल्ली से 1817, लखनऊ से 1538, हावड़ा से 1737, पटना से 3092, गया 2230, आगरा 7538, इटावा 1446, जसवंत नगर 1773, हाथरस 1374, गाजियाबाद 1924 लोग प्रयाग आए थे। इसके अतिरिक्त मथुरा से 1114, मिर्जापुर से 19638, मानिकपुर से 6779, सतना से 3889, मैहर से 1084, कटनी से 2003 तीर्थयात्री स्नान करने आए।

Jan 9, 2013

अपनी हिन्दी को विश्व मंच पर सम्मान दिलायें....


क्या आप जानते हैं -

-हिन्दी भाषा 'इंडो यूरोपियन' परिवार से संबंध रखती है।
- इस भाषा के उद्गम का महाद्वीप 'एशिया' व देश 'भारत' है।
- भारत देश में हिन्दी भाषा को अधिकृत रुप से उपयोग किया जाता है।
- 366,000,000 लोगों के लिए यह भाषा 'मातृभाषा' है वहीं इस भाषा को कुल 487,000,000 लोग उपयोग करते हैं।
- हिन्दी की वर्णमाला में 11 स्वर व 33 समस्वर हैं।
- हिन्दी की देवनागरी लिपि को प्राचीन ब्राह्मी से लिया गया है
- हिन्दी की ढेरों बोलियाँ है जिसमें निमाड़ी, बुंदेलखंडी, खड़ीबोली आदि शामिल है।
- 80 हिन्दी स्कूल अमेरिका मे और 95 हिन्दी स्कूल कनाडा में हैं ।
- 24 विश्वविद्यालय मौरीशस में हैं ।
- लगभग ९५ हिन्दी शिक्षण संस्थायें औस्ट्रेलिया मे हैं ।
- वर्तमान में हिन्दी साउथ एशिया (भारत, पाकिस्तान, नेपाल व भूटान), साउथ अफ्रीका, मॉरीशस, यूएसए, कनाडा, फिजी, युगांडा, गुएना, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया, न्यूजीलेंड, सिंगापुर जैसे देशों में भी व्यापक स्तर पर बोली जा रही है।

आओ हम सब अपनी हिन्दी का मान बढायें ।
इस हिन्दी रूपी सूत्र में बंध कर एक हो जायें ।
और अपनी हिन्दी को विश्व मंच पर सम्मान दिलायें ।

आज सिर्फ हम कह रहे हैं, पर हम प्रयास करेंगे तो एक दिन पूरी दुनिया कहेगी जो बात हिन्दी में है, वो किसी और में नहीं

Dec 25, 2012

88 के अटल: अधूरी हैं ये ख्वाहिशें, टीवी देखते कटता है वक्‍त


लखनऊ. बीजेपी के वरिष्ठ नेता और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी का मंगलवार (25 दिसंबर) को 88वां जन्‍मदिन है। वह बीमार चल रहे हैं और उनका ज्‍यादातर वक्‍त टीवी देखते हुए ही कटता है। यूपी की राजधानी लखनऊ से उनका खास लगाव रहा है। यहीं से वह कवि से पत्रकार और पत्रकार से राजनेता बने। यहां से कई बार संसद पहुंचे। यही से सांसद रहते हुए देश के प्रधानमंत्री बने। उन्होंने लखनऊ के विकास को लेकर कई योजनाएं शुरू करवाईं। लेकिन आज ये सभी योजनाएं करोड़ों खर्च किए जाने के बावजूद राजनीतिक इच्छाशक्ति और सरकारी बजट के आभाव में अधूरी पड़ी हैं।

टीवी देखते रहते हैं अटल : अटलजी 2004 के बाद गिने-चुने सार्वजनिक आयोजनों में ही देखे गए हैं। तीन साल से कुछ लिखा नहीं, दो साल से कुछ बोले नहीं हैं। गजब की भाषण कला ही तो उनकी पहचान रही है पर वे अब 'मौन' हैं। पैरालिसिस ने उनकी वाणी को विराम भले ही दे दिया हो मगर वे चैतन्य हैं। इशारों में संवाद करते हैं। 20 सालों में करीब दस सर्जरी हुई हैं उनकी। डॉक्टरों की मौजूदगी में नियमित फिजियोथेरेपी के बाद ज्यादा वक्त टीवी के सामने गुजरता है। संसद की कार्यवाही देखते हैं, लेकिन सांसदों का हंगामा देख उन्‍हें नागवार गुजरता है। ऐसे में वह तत्‍काल चैनल बदलवा देते हैं। उनके सबसे करीबी सहयोगी शिवकुमार बताते हैं कि ऐसे में वे गाने सुनने लगते हैं। इंडियन आयडल जैसे कार्यक्रम उन्‍हें खास पसंद हैं।

50 साल से अटलजी की निजी सेवा में लगे शिव कुमार कहते हैं, 'अटलजी ने कभी व्हीलचेयर पर लोगों के सामने आना गवारा नहीं किया। वे बोल नहीं सकते पर हम उनका हर इशारा समझते हैं।' 2004 के बाद अटलजी की ख्वाहिश काश्मीर पर कुछ लिखने की जरूर रही। एनडीए जब सत्ता से बाहर हुआ तो वे मनाली में थे। वहां भी उन्होंने अपनों के बीच कहा कि अब कश्मीर पर काम करने के लिए मेरे पास वक्त रहेगा। काफी पहले श्यामाप्रसाद मुखर्जी पर उन्होंने किताब भी लिखी थी-मृत्यु या हत्या। कई बार उनके करीबियों ने बायोग्राफी पर काम करने की सलाह दी लेकिन अटलजी ने हर बार मुस्कराकर टाल दिया। वे कहते,'मेरी प्राथमिकता कश्मीर पर कुछ लिखना जरूर है।'

बतौर प्रधानमंत्री उनके मीडिया सलाहकार रहे अशोक टंडन को याद है कि तीन साल पहले तक वे कश्मीर पर काम भी कर रहे थे। टंडन कहते हैं कि मुमकिन है कोई दस्तावेज बना भी हो। मध्यप्रदेश में भाजपा दूसरी दफा सत्ता में लौटी तो मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, अनिल माधव दवे, अनूप मिश्रा और संगठन के कुछ नेता आशीर्वाद के लिए आए। मोतीचूर के लड्डू लेकर आए। चौहान आधा लड्डू तोड़कर अटलजी को खिलाने लगे तो खानपान के शौकीन अटलजी ने उन्हें वहीं टोक दिया, 'आधा नहीं। पूरा खाऊंगा।' उन्होंने पूरा लड्डू ही खाया। तस्वीरें खिंचवाईं। सब चुनावी अपडेट देते रहे। वे मुस्कराते रहे बस। कुछ बोले नहीं। दवे याद करते हैं कि किसी के आने पर इससे पहले अटलजी हॉल में खुद चलकर आया करते थे। पहली बार हमने उन्हें पहले से कुर्सी पर बैठे हुए देखा।

मुंबई में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति आखिरी आयोजन था, जिसमें वे शरीक हुए। वे व्हील चेअर पर आए थे। सब उन्हें सुनने के लिए बेताब थे। सिर्फ एक पंक्ति का ही भाषण हुआ। यह पहला मौका था, जब उन्होंने इतना संक्षिप्त उद्बोधन दिया। उन्होंने कहा था,'यह परिवर्तन का काल है।'


Dec 20, 2012

कभी मोदी बेचा करते थे चाय !


नई दिल्ली। आखिरकार तीसरी बार गुजरात मोदी का हुआ। इससे पहले तमाम सर्वे में भी मोदी की जीत पक्की बताई गई थी। आइए मोदी के बारे में कुछ रोचक बातें आपको बताते हैं..

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्म दामोदारदास मूलचंद मोदी व उनकी पत्‍‌नी हीराबेन मोदी के घर मेहसाणा जिले में हुआ। 17 सितंबर 1950 को बेहद साधारण परिवार में जन्में मोदी अपने विद्यार्थी जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे। गुजरात पर राज करने वाले मोदी के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। मोदी का बचपन कठोर परिश्रम के साथ बीता। मात्र 14 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने रेलवे स्टेशन पर पिता की चाय की दुकान में हाथ बंटाना शुरू कर दिया था।

ब्रांड बन चुके नरेंद्र मोदी का बचपन बहुत ही अभावग्रस्त रहा है। छोटी सी उम्र में ही वे वडनगर में एक ऑयल कंपनी में तेल के पीपे उठाया करते थे, हर पीपे पर उन्हें 5 पैसे की मजदूरी मिला करती थी।

मोदी के पड़ोसी बताते हैं कि जब भी रेलवे स्टेशन पर कोई ट्रेन आती तो हाफ पैंट में मोदी चाय की केतली लेकर दौड़ पड़ते थे। चाय के अलावा वे पांच-पांच पैसे में पानी के ग्लास भी बेचा करते थे।

प्रचारक जीवन के दरमियान उनकी जवाबदारी सुबह उठकर चाय के लिए दूध लाना हुआ करती थी। संघ प्रचारकों की चाय के लिए मोदी सुबह 5 बजे उठकर दूध लेने जाया करते थे।

मोदी पढ़ने में काफी होशियार थे। उनकी विशेष रुचि समाजशास्त्र और इतिहास में थी। इन सब्जेक्ट्स को वे बहुत रुचि के साथ पढ़ा करते थे।

मोदी की याददाश्त हमेशा से ही बहुत तेज रही। एक बार वे किसी से मुलाकात कर लें तो फिर उसका नाम कभी नहीं भूलते।

मोदी बोले, गुजरात की 6 करोड़ जनता हीरो


नई दिल्‍ली/अहमदाबाद/शिमला. गुजरात (मतगणना LIVE) और हिमाचल विधानसभा चुनाव (मतगणना लाइव अपडेट) के नतीजे आते ही देश में सियासी पारा चढ़ गया है। नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार गुजरात के सीएम बनने का रास्ता साफ हो गया है और बीजेपी राज्‍य में लगातार पांचवी बार सत्‍ता में आई है। जीत के बाद बीजेपी के कार्यालय पहुंचे मोदी ने अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा, 'गुजरात के करोडो़ं भाई और बहनों का धन्यवाद। गुजरात चुनाव ने सिद्ध कर दिया है कि इस देश की जनता और इस देश के मतदाता, क्या अच्छा औऱ क्या बुरा है, यह भली भांति समझता है। और जब उसे स्वतंत्र रूप से निर्णय लेना होता है तो वह ऊंची सोच के साथ भविष्य को नजर में रखकर अपना फैसला सुनाता है। गुजरात के नतीजों ने यह सिद्ध कर दिया कि लोकतंत्र की इस लंबी प्रक्रिया के दौरान गुजरात का मतदाता कितना मैच्योर हुआ है। सारे लोभ लालच, भांति-भांति के जहर से ऊपर उठकर वोट दिया। मतदाताओं ने सोचा कि अगर गुजरात का भला होगा तो मेरा भी भला होगा। देश के पॉलिटिकल पंडितों को समझना होगा कि देश ने 80 के दशक के जातिवादी जहर को देखा और महसूस किया है। गुजरात के मतदाता यहां कभी भी 80 के दशक का हाल दोबारा नहीं चाहते। गुजरात के मतदाता जातिवाद, क्षेत्रवाद से ऊपर उठ चुके हैं। आने वाली पीढ़ी के बारे में लोग सोच रहे हैं।'



नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन से पहले ट्वीट किया, 'जनता की सेवा करने का मौका देने के लिए गुजरात की 6 करोड़ जनता और भगवान का धन्यवाद। उन सबका शुक्रिया जिन्होंने वोट दिया और जिन्होंने नहीं दिया उनका वोट पाने के लिए कड़ी मेहनत करूंगा।'


इससे पहले तमिलनाडु की सीएम जयललिता और बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन ने नरेंद्र मोदी को जीत (पढ़ें: मोदी की जीत के कारण) पर बधाई दी है। मोदी ने अपने राजनीतिक विरोधी केशुभाई पटेल से मुलाकात की और उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिया। नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद केशुभाई पटेल ने कहा, 'मैंने मोदी को बधाई दी और हम दोनों ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाई। 2007 में मैंने मोदी को फोन किया था कि बधाई देने कहां आऊं? तो मोदी ने मुझे बताया था कि बधाई लेने वे खुद आएंगे।' ('मोदी सरकार बनी तो होंगे धमाके')



हिमाचल में पांच साल बाद कांग्रेस की वापसी हो रही है। यहां बीजेपी ने अपनी हार स्‍वीकार कर ली है। लेकिन, हिमाचल में सीएम की कुर्सी को लेकर कांग्रेस के भीतर घमासान शुरू हो गया है। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी विरेंद्र कुमार ने कहा है कि वीरभद्र सिंह सीएम पद के अकेले दावेदार नहीं है। अगर वे अकेले ही दावेदार होते तो दि‍ल्ली में विधायक दल की बैठक नहीं बुलाई जाती। मीडिया की ओर से पूछ गए सवाल के जवाब देते हुए उन्‍होंने कहा कि विधायक दल की बैठक में जो भी फैसला किया जाएगा उसे कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी के पास भेज दिया जाएगा। अंतिम मुहर सोनिया गांधी ही लगाएंगी कि हिमाचल का मुख्‍यमंत्री कौन होगा। उधर, सीएम की कुर्सी को लेकर जोड़ तोड़ और लॉबिंग शुरू हो गई है।



अभी तक की मतगणना के मुताबिक बीजेपी 113 सीटें जीत गई जबकि 3 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। वहीं कांग्रेस 56 सीटें जीत गई है और 4 पर आगे चल रही है। पांच सीटों पर अन्‍य उम्‍मीदवार बढ़त बनाए हुए हैं। जेडी (यू) ने एक सीट जीतकर अपना खाता खोला है। यहां पार्टी ने बीजेपी से अलग चुनाव लड़ा।


हिमाचल में अब तक परिणामों में कांग्रेस को 36 सीटें जीत चुकी है। भाजपा 24 सीटें जीत चुकी है और 2 पर आगे चल रही है। अन्य के खाते में 5 सीटे गई हैं और एक उम्मीदवार बढ़त बनाए हुए है।

Oct 21, 2011

गद्दाफी के पास सात अरब डॉलर का सोना, लीबिया की संपत्ति 168 अरब डॉलar

त्रिपोली. लीबिया में 42 साल तक हुकूमत करने वाला 69 वर्षीय तानाशाह कर्नल मुअम्मर गद्दाफी आखिरकार मारा गया। उसकी मौत गृहनगर सिर्ते में सिर और पैर में गोली लगने से हुई है। लीबिया की सेना और अमेरिका ने मौत की पुष्टि की है। गुरुवार को हुए इस हमले में उसके बेटे मुतस्सिम और सेना प्रमुख अबु बकर यूसुफ जबर समेत कई साथी भी मारे गए हैं। दिसंबर से अरब देशों में शुरू हुई क्रांति के बाद गद्दाफी की हुकूमत के खिलाफ भी आवाजें उठने लगी थीं। लेकिन उसने उसे बलपूर्वक दबाने की कोशिश की। विरोधियों को नाटो देशों का समर्थन मिलने के बाद वह छिपता फिर रहा था।

अपने शासनकाल के दौरान ही गद्दाफी क्रांतिकारी हीरो से अंतरराष्ट्रीय जगत में अछूत की तौर पर देखा जाने लगा। फिर उसे एक अहम पार्टनर बताया जाने लगा। गद्दाफी ने अपना एक राजनीतिक चिंतन विकसित किया था, जिस पर उसने एक किताब भी लिखी, जो उसकी नजर में इस क्षेत्र में प्लेटो, लॉक और मार्क्स के चिंतन से भी कहीं आगे थी। गद्दाफी का जन्म वर्ष 1942 में एक कबायली परिवार में हुआ था।

वर्ष 1969 में जब गद्दाफी ने फौजी अफसरों को साथ लेकर राजा इद्रीस का तख्ता-पलट कर सत्ता हासिल की थी। तो वह एक करिश्माई युवा फौजी अधिकारी था। स्वयं को मिस्र के जमाल अब्दुल नासिर का शिष्य बतानेवाले गद्दाफी ने सत्ता हासिल करने के बाद खुद को कर्नल के खिताब से नवाजा। देश के आर्थिक सुधारों की तरफ तवज्जो दी। इससे पहले देश की अर्थव्यवस्था विदेशी अधीनता के चलते जर्जर हालत में थी।

बताया जाता है कि गद्दाफी के पास ७ बिलियन डॉलर (३.५० खरब रुपए) मूल्य का सोना है। अमेरिका ने गद्दाफी परिवार के ३० बिलियन डॉलर के निवेशों को जब्त किया है। कनाडा में २.४ बिलियन डॉलर(१.१९ खरब रुपए), आस्ट्रीया में १.७ बिलियन डॉलर(८४ अरब रुपए), ब्रिटेन में १ बिलियन डॉलर(४९ अरब रुपए) लीबिया क्रांति के शुरू होने के बाद जब्त किए गए हैं। ६ माह चले विद्रोह में लीबिया को 15 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। लीबिया सेंट्रल बैंक के पूर्व गवर्नर फरहत बंगदारा के मुताबिक, यदि विदेशी सरकारें लीबिया की जब्त संपत्ति को मुक्तकर दें तो यह बड़ा संकट नहीं है।

168 अरब डॉलर लीबिया की संपत्ति
दुनिया भर के बैंकों में लीबिया की 168 अरब डॉलर की संपत्ति जमा है। इनमें 50 अरब डॉलर ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, पुर्तगाल, स्पेन और स्वीडन जैसे देशों में जमा हैं। वहीं अमेरिका और यूरोपीय यूनियन के पास 40 अरब डॉलर जमा हैं। बंगदारा के मुताबिक, सब कुछ इस गृह युद्ध से पहले यहां का आर्थिक उत्पादन 80 अरब डॉलर था। अगले 10 सालों में इसे दोगुना किया जा सकता है।


तेल के भंडार मुक्त कराए
अगर नासिर ने स्वेज नहर को मिस्र की बेहतरी का रास्ता बनाया था, तो कर्नल गद्दाफी ने तेल के भंडार को इसके लिए चुना। लीबिया में 1950 के दशक में तेल के बड़े भंडार का पता चल गया था। लेकिन उसके खनन का काम पूरी तरह से विदेशी कंपनियों के हाथ में था। वही उसकी ऐसी कीमत तय करते थीं। गद्दाफी ने तेल कंपनियों से कहा कि या तो वो पुराने करार पर पुनर्विचार करें या उनके हाथ से खनन का काम वापस ले लिया जाएगा। लीबिया वो पहला विकासशील देश था, जिसने तेल के खनन से मिलनेवाली आमदनी में बड़ा हिस्सा हासिल किया। दूसरे अरब देशों ने भी उसका अनुसरण किया।

खत्म कर दी आजादी
1970 के आसपास उन्होंने विश्व के संबंध में एक तीसरा सिद्धांत विकसित करने का दावा किया। दावा किया कि इसके माध्यम से पूंजीवाद और साम्यवाद के बीच का मतभेद खत्म हो जाएगा। दबे-कुचले लोगों बराबरी का हक मिलेगा। लेकिन जिस विचारधारा में लोगों को आजाद करने का दावा किया गया था, उसी के नाम पर उनकी सारी आजादी छीन ली गई।

अमेरिका विरोधी
2010 में टयूनीशिया से अरब जगत में बदलाव की क्रांति का प्रारंभ हुआ, तो उस संदर्भ में जिन देशों का नाम लिया गया, उसमें लीबिया को पहली पंक्ति में नहीं रखा गया था। क्योंकि गद्दाफी को पश्चिमी देशों का पिट्ठू नहीं समझा जाता था, जो क्षेत्र में जनता की नाराजगी का सबसे बड़ा कारण समझा जाता था। उन्होंने तेल से मिले धन को भी दिल खोलकर बांटा था। ये अलग बात है कि इस प्रक्रिया में उनका परिवार भी बहुत अमीर हुआ था।

अमेरिकी हमले में बच गया था गद्दाफी
गद्दाफी ने बाद में चरमपंथी संगठनों को भी समर्थन देना शुरू कर दिया था। बर्लिन के एक नाइट क्लब पर साल 1986 में हुआ हमला इसी श्रेणी में था, जहां अमरीकी फौजी जाया करते थे। इस हमले का आरोप गद्दाफी के माथे मढ़ा गया। हालांकि इसके कोई ठोस सबूत नहीं थे। घटना से नाराज अमेरिकी राष्ट्रपति रोनल्ड रीगन ने त्रिपोली और बेनगाजी पर हवाई हमलों का हुक्म दिया। हालांकि गद्दाफ़ी हमले में बच गए, लेकिन कहा गया कि उनकी गोद ली बेटी हवाई हमलों में मारी गई।

यूएन की पाबंदी
लॉकरबी शहर के पास पैनएम जहाज में बम विस्फोट, जिसमें 270 लोग मारे गए। कर्नल गद्दाफी ने हमले के दो संदिग्धों को स्कॉटलैंड के हवाले करने से मना कर दिया, जिसके बाद लीबिया के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र ने आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए जो दोनों लोगों के आत्मसमर्पण के बाद 1999 में हटाया गया। उनमें से एक मेगराही को उम्रकैद हुई। बाद में गद्दाफी ने अपने परमाणु कार्यक्रम और रासायनिक हथियार कार्यक्रमों पर रोक लगाने की बात कही और पश्चिमी देशों से उनके संबंध सुधर गए।

गद्दाफी के अंत पर रहस्य के चलते आज नहीं दफन होगा शव

त्रिपोली. कर्नल मुअम्मर गद्दाफी के खात्मे के साथ ही लीबिया में 42 साल लंबे तानाशाही शासन के अंत के साथ ही शनिवार को लीबिया को आज़ाद मुल्क घोषित कर दिया जाएगा। लीबिया की अंतरिम सरकार चला रही नेशनल ट्रांजिशनल काउंसिल (राष्ट्रीय अंतरिम परिषद) लीबिया को आज़ाद मुल्क घोषित करेगी। इसके साथ ही लीबिया में पूरी तरह से लोकतांत्रिक सरकार बनने की उलटी गिनती भी शुरू हो गई है।

लेकिन गद्दाफी की मौत कैसे हुई, इस पर अब भी रहस्य बरकरार है। इसी वजह से गद्दाफी को आज नहीं दफनाया जाएगा। बताया जा रहा है कि गद्दाफी की मौत, किन हालात में की जाएगी, इसकी जांच की जा रही है। ब्रिटिश अख़बार गार्जियन के मुताबिक गद्दाफी को दफनाने में हो रही देर की दूसरी वजह यह आशंका है कि अगर गद्दाफी के शव को सार्वजनिक तौर पर दफन किया जाएगा तो उसकी मजार पर लोग इकट्ठा होंगे और उसे शहीद का दर्जा दे सकते हैं। गौरतलब है कि इस साल मई में ओसामा बिन लादेन को भी इसी डर से अमेरिका ने मारने के बाद समुद्र में दफन कर दिया था।
वहीं, दूसरी ओर शनिवार को मुस्तफा अब्दुल जलील बेनगाजी से लीबिया की आजादी का ऐलान करेंगे। लेकिन लीबिया में इस बात को लेकर चिंता भी जाहिर की जा रही है कि लीबिया के स्वतंत्र देश होने का ऐलान राजधानी त्रिपोली की जगह लीबिया के बेनगाजी से क्यों की जा रही है।

लीबिया के अंतरिम प्रधानमंत्री और एनटीसी में नंबर दो की हैसियत रखने वाले महमूद जिबरिल ने गद्दाफी की मौत के बाद ऐलान किया, 'अब लीबिया के लिए नई शुरुआत का समय आ गया है। नया और एकता के सूत्र में बंधा लीबिया।' गद्दाफी की मौत के बाद लीबिया में जश्न का माहौल है। दुनिया के अलग-अलग इलाकों में रह रहे लीबियाई नागरिक भी तानाशाही शासन के अंत पर खुशी मना रहे हैं। लेकिन दुनिया के कई देश लीबिया के भविष्य को लेकर मिलीजुली प्रतिक्रियाएं जाहिर कर रहे हैं। दुनिया के कई मुल्क लीबिया को शुभकामनाएं देने के साथ आशंका भी जाहिर कर रहे हैं कि इस देश में अराजकता का माहौल जल्द खत्म हो पाएगा।

खबरों के मुताबिक अपने आखिरी समय में अपने गृह नगर सिरते में छुपा गद्दाफी वहां से भागने की फिराक में था। वह अपने काफिले के साथ वहां से जैसे ही निकला, फ्रेंच लडा़कू विमानों ने उस पर हमला कर दिया। हवाई हमले के बाद गद्दाफी का काफिला नेशनल ट्रांजिशनल काउंसिल की फौज के साथ झड़प में फंस गया। माना जा रहा है कि इस दौरान हुई गोलीबारी में गद्दाफी ज़ख़्मी हो गया। इसके बाद वह जमीन पर घिसटते हुए एक पाइप के पास जाकर छुप गया। कुछ घंटों बाद एनटीसी के लड़ाकों ने गद्दाफी को पानी की निकासी के लिए बने एक पाइप के पास से खोज निकाला।

बताया जा रहा है कि इनमें से एक ने अपने जूते से गद्दाफी की पिटाई की। चश्मदीदों के मुताबिक गद्दाफी दया की भीख मांग रहा था। वहीं, गद्दाफी के शव के साथ एंबुलेंस में सवार अब्दल-जलील अब्दल अजीज नाम के डॉक्टर का दावा है कि गद्दाफी को दो गोलियां लगी थीं। अजीज के मुताबिक एक गोली गद्दाफी सिर में और सीने पर लगी थी।

वहीं, एनटीसी के फील्ड कमांडर मोहम्मद लीत ने बताया, 'गद्दाफी को जब एनटीसी के लड़ाकों ने ललकार कर जब फायरिंग शुरू की तो वह एक जीप पर सवार था। इसके बाद वह जीप से उतरकर भागने लगा। गद्दाफी भागकर एक गंदे पानी की निकासी के लिए बने पाइप में छुप गया। लीबियाई लड़ाकों ने उसका पीछा किया और उसे वहां जाकर चुनौती दी। इसके बाद गद्दाफी पाइप से बाहर आ गया। चश्मदीदों के मुताबिक गद्दाफी पाइप से बाहर आते ही गद्दाफी के एक हाथ में कैलेशनिकोव राइफल तो दूसरे हाथ में सोने की पिस्तौल थी।'
लीत के मुताबिक, 'गद्दाफी ने बाहर आकर दायें और बायें देखा और पूछा कि क्या हो रहा है? इसके बाद एनटीसी के लड़ाकों ने फिर से गोलीबारी शुरू कर दी। इस गोलीबारी में गद्दाफी के पैर और कंधे ज़ख़्मी हो गए।' लेकिन लीबिया के अंतरिम प्रधानमंत्री ने दावा किया है कि गद्दाफी के सिर में चोट लगी थी।

हालांकि, अभी तक पूरी तरह से यह साफ नहीं हो पाया है कि गद्दाफी का अंत कैसे हुआ। नाटो ने भी एक बयान में कहा कि उसके जंगी विमानों ने सिरते के नजदीक सेना की दो गाड़ियों पर बमबारी की थी। लेकिन नाटो इस बात पुष्टि नहीं कर पाया कि इन गाड़ियों में गद्दाफी था या नहीं।
इस बीच, लीबियाई अधिकारियों का कहना है कि पूर्व शासक कर्नल मुअम्मर गद्दाफ़ी सिरते में उनके वफ़ादारों और अंतरिम सरकार के सैनिकों के बीच हुई गोलीबारी में मारे गए। लीबिया के कार्यवाहक प्रधानमंत्री और एनटीसी में नंबर दो की हैसियत रखने वाले महमूद जिबरिल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में गद्दाफी की मौत की पुष्टि करते हुए कहा है कि अंतरिम सरकार के सैनिकों और गद्दाफ़ी के वफ़ादारों के बीच गोलीबारी हुई जिसमें गद्दाफी के सिर में गोली लगी। उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि कर्नल गद्दाफ़ी को ज़िंदा पकड़ा गया था, मगर अस्पताल पहुंचने से पहले उनकी मौत हो गई।

जिबरिल ने मीडिया को जानकारी दी कि फ़ोरेंसिक जांच में इस बात की पुष्टि हो गई है कि कर्नल गद्दाफ़ी की पकड़े जाने के बाद ले जाए जाते समय गोलियों की चोट से मौत हो गई। जिब्रील ने रिपोर्टों के हवाले से कहा, 'जब कार जा रही थी तो क्रांतिकारियों और गद्दाफ़ी के सैनिकों के बीच गोलीबारी हुई जिसमें एक गोली उनके सिर में लगी।' हालांकि, जिबरिल के अनुसार डॉक्टर ये नहीं बता सके कि गोली क्रांतिकारियों की ओर से लगी या गद्दाफ़ी के किसी सैनिक की गोली ने ही उनकी जान ली। इससे पहले एनटीसी के कुछ सैनिकों ने कर्नल की मौत का अलग क़िस्सा बयान किया था, जहां उनका कहना था कि जब वह भागने की कोशिश कर रहे थे तो उन्हें पकड़ने वालों ने ही उन्हें गोली मार दी। मिसराता की मस्जिद में रखे गए गद्दाफी के शव को सिरते से मिसराता एक जुलूस की शक्ल में ले जाया गया।

दूसरी तरफ, लीबिया में लंबे समय से बमबारी कर रहे नाटो के संचालक अगले कुछ घंटों में बैठक करके लीबिया में बम हमले को खत्म करने की घोषणा कर सकते हैं। नाटो महासचिवन ऐंडर्स फ़ॉग रैसमूसन ने कहा कि कर्नल गद्दाफ़ी की मौत के साथ अब वह मौक़ा आ गया है। उन्होंने कहा, 'कर्नल गद्दाफ़ी का 42 साल का खौफ का राज आख़िरकार खत्म हो गया है। मैं सभी लीबियाई लोगों से अपील करता हूं कि वे आपसी मतभेद भुलाकर एक उज्ज्वल भविष्य के लिए मिलकर काम करें।'
इस बीच, खबरें हैं कि गद्दाफी के एक बेटे सैफ अल-इस्लाम बानी वालिद नाम के शहर में देखा गया था। इसके बाद वह बानी वालिद के आसपास के रेगिस्तान में भाग गया है। वहीं, गद्दाफी के दूसरे बेटे मुत्तसिम गद्दाफी की मौत हो गई है।

दुनिया भर में खुशी की लहर
गद्दाफी की मौत से लीबिया सहित दुनिया के कई अन्‍य देशों में खुशी की लहर दौड़ गई है। दुनिया के कई देशों ने गद्दाफी की मौत का स्‍वागत किया है। अमेरिकी राष्‍ट्रपति बराक ओबामा ने लीबियाई तानाशाह की मौत को मध्‍य-पूर्व के तमाम कठोर शासकों के लिए सबक बताया। उन्‍होंने कहा कि ऐसे शासकों का ऐसा अंत एक तरह से निश्चित है। वहीं, हिलेरी क्लिंटन ने गद्दाफी की मौत को लीबिया के इतिहास में एक काले अध्याय की समाप्ति बताया है।

फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी ने गद्दाफी की मौत को लीबिया के इतिहास में मील का पत्थर बताते हुए कहा है कि चार दशकों से ज़्यादा लंबे चले तानाशाही शासन के खिलाफ जंग में जनता की जीत हुई है। लेकिन सरकोजी ने इस बात की आशंका जताई है कि कहीं सद्दाम हुसैन की मौत के बाद इराक जैसे माहौल लीबिया में न पैदा हो जाएं। उन्होंने कहा, 'सिरते की आज़ादी, एक नई प्रक्रिया की शुरुआत है, जिसमें लोकतांत्रिक प्रणाली की स्थापना होगी।' डेविड कैमरन ने भी इसी तरह के भाव जाहिर किए हैं। मिस्र और अरब लीग ने भी लीबिया को नई शुरुआत के लिए शुभकामनाएं दी हैं। लीबिया की अंतरिम एनटीसी की सरकार के साथ कड़वे रिश्ते के बावजूद चीन ने लीबिया में लोकतंत्र और एकता पर जोर दिए जाने की अपील की है।

Aug 21, 2011

अन्‍ना ने भरी हुंकार, पीएम आएं तो भी नहीं तोडूंगा अनशन


नई दिल्‍ली. भ्रष्‍टाचार के खिलाफ आंदोलन कर रही टीम अन्‍ना ने आज साफ कर दिया है कि वो सरकार से बातचीत के लिए तैयार है लेकिन जन लोकपाल बिल पर किसी तरह का समझौता नहीं करेगी। अन्‍ना ने अनशन के मंच से आज एक बार फिर चेतावनी दी है कि जब तक जनलोकपाल बिल पारित नहीं होता उनका आंदोलन जारी रहेगा। अन्‍ना ने कहा, ‘बातचीत का रास्‍ता खुला है। लेकिन कितनी भी चर्चा हो जाए, जब तक जनलोकपाल बिल पारित नहीं होता हम अनशन से नहीं उठेंगे चाहे पीएम ही यहां क्‍यों न आ जाएं।’

अन्‍ना हजारे के अनशन का आज छठा दिन है लेकिन सामाजिक कार्यकर्ता के जोश में कमी आती नहीं दिख रही है। उन्‍होंने कहा, ‘रामलीला मैदान में हर साल रावण का दहन किया जाता है। हम भी यहां भ्रष्‍टाचार रुपी रावण का दहन करने के लिए रामलीला मैदान में बैठे हैं। भ्रष्‍टाचार के खिलाफ आंदोलन में सभी धर्मों के लोग हिस्‍सा ले रहे हैं। मीडिया ने भी दिखाया कि वह लोकतंत्र का चौथा स्‍तंभ है लेकिन अन्‍य तीन खंभों से भी मजबूत है। मीडिया ने ही भ्रष्‍टाचार के खिलाफ आंदोलन को घर घर में पहुंचाया जिससे यह आंदोलन इतना बड़ा हो सका है। युवा शक्ति की हिस्‍सेदारी उम्‍मीद किरण जगाती है। यह क्रांति रक्‍तरंजित नहीं बल्कि शांतिपूर्ण है और इससे पूरी दुनिया सीख लेगी।’

आंदोलन की आगामी रणनीति तय करने के लिए टीम अन्‍ना की कोर कमेटी की बैठक में तय हुआ कि जनलोकपाल बिल पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। टीम अन्‍ना के सदस्‍य अरविंद केजरीवाल ने रामलीला मैदान में करीब ढाई घंटे तक चली इस बैठक में लिए फैसलों की जानकारी दी। उन्‍होंने कहा कि बैठक में जनलोकपाल बिल की मोटी-मोटी बातों पर दोबारा विचार किया गया। टीम अन्‍ना इस निष्‍कर्ष पर पहुंची है कि जन लोकपाल बिल की सभी बातें अहम हैं और किसी भी बिंदु से समझौता नहीं किया जाएगा।

केजरीवाल ने सरकार की ओर से अब तक बातचीत की कोई पेशकश नहीं आने पर चिंता जाहिर की। उन्‍होंने कहा, 'कल पीएम मनमोहन सिंह ने कहा था कि वो बातचीत के लिए तैयार हैं। हम पीएम से पूछना चाहते हैं कि हम किससे बात करने के लिए कहां और कितने बजे आएं।’

सरकार और सिविल सोसायटी के लोकपाल बिल पर सार्वजनिक तौर पर बहस की मांग करते हुए केजरीवाल ने कहा, 'कल अन्‍ना के अनशन को एक हफ्ता पूरा हो जाएगा। सभी लोगों से निवेदन है कि अपने-अपने सांसदों को पकडिए। घरों के बाहर धरना दें। उनसे सार्वजनिक तौर पर बताएं कि वो सरकारी या जनलोकपाल बिल के साथ हैं। दिल्‍ली में सभी मंत्रियों के घरों के बाहर धरना दिया जाए। सभी विपक्षी पार्टियों के नेताओं के घर के बाहर धरना दिया जाए। सभी पार्टियों से निवेदन है कि वो ये बताएं कि जनलोकपाल बिल की कौन सी बात मंजूर है और नहीं मंजूर है। यहां रामलीला मैदान में मंच पर उसका फैसला होगा। जिन्‍हें जनलोकपाल को लेकर आपत्ति है वो देश की जनता के सामने वाद-विवाद करें।'
उन्‍होंने बताया कि आज शाम पांच बजे इंडिया गेट से एक महारैली निकाली जाएगी जो रामलीला मैदान पहुंचेगी। उन्‍होंने यह भी कहा, 'कल मुसलमान भाईयों का रोजा है और हिंदू भाइयों की जन्‍माष्‍टमी है। ऐसे में हम कल यहां मंच पर सुबह रोजा खोलेंगे और रात को जन्‍माष्‍टमी का व्रत तोड़ेंगे।'
सेना ने बताया अन्‍ना को बेदाग
भ्रष्‍टाचार के खिलाफ छह दिनों से अनशन पर बैठे अन्‍ना हजारे को सेना ने भी बेदाग छवि का करार दिया है। सूचना का अधिकार कानून के तहत मांगी गई जानकारी में सेना में यह जवाब दिया है। आरटीआई के तहत अन्‍ना के कॅरियर के बारे में जानकारी मांगी गई थी। सेना में अन्‍ना के करियर के बारे में सवाल थे। सेना ने इस जवाब में कहा कि अन्‍ना का कॅरियर बेदाग रहा है। कभी भगोड़े नहीं रहे। उन्हें कॅरियर में पांच पदक मिले हैं। आरटीआई के तहत यह जानकारी मांगने वाले शख्‍स सुभाष अग्रवाल हैं जिनकी पहचान आरटीआई कार्यकर्ता के रूप में है। सुभाष अग्रवाल ने कहा है कि उन्‍होंने अन्‍ना के बारे में छह सवाल पूछे थे जिनमें से चार के जवाब नहीं मिले हैं।
डॉक्‍टरों ने आज सुबह अन्‍ना के स्‍वास्‍थ्‍य की जांच की। टीम अन्‍ना की सदस्‍य किरण बेदी ने बताया है कि अन्‍ना का स्‍वास्‍थ्‍य ठीक है। ट्विटर के जरिये भेजे संदेश में बेदी ने देश से लोगों से दुआ करने की अपील की है कि अन्‍ना का स्‍वास्‍थ्‍य अच्‍छा ही रहे।
इससे पहले कांग्रेस के ही एक सांसद ने अन्‍ना के जनलोकपाल बिल को स्‍टैंडिंग कमेटी को भेजकर सभी को चौंका दिया है। बरेली से सांसद प्रवीण सिंह ऐरन ने कहा है कि कांग्रेस चाहती है कि इस मामले के हर पहलू पर चर्चा हो। स्‍टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन अभिषेक मनु सिंघवी को भेजे बिल में ऐरन ने कहा है कि अन्ना की टीम ने जो जन लोकपाल बिल तैयार किया है वह उससे भी सख्त जन लोकपाल बिल चाहते हैं।

सरकार और टीम अन्‍ना के बीच सुलह के आसार नहीं दिखाई दिख रहे हैं। अन्‍ना हजारे जनलोकपाल बिल संसद में पास होने तक अनशन पर अड़े हुए हैं वहीं सरकार इस आंदोलन को कमजोर करने में जुटी है। सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय ने सरकारी लोकपाल बिल और जनलोकपाल दोनों को खारिज करते हुए तीसरा मसौदा पेश कर मामले को और उलझा दिया है। कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में बनी एनएसी की सदस्‍य अरुणा रॉय ने जनलोकपाल, लोकपाल और अपने मसौदे को शामिल करते हुए बेहतर विधेयक तैयार करने की वकालत की है। हालांकि अरविंद केजरीवाल ने अरुणा रॉय को भी चर्चा के लिए रामलीला मैदान आमंत्रित किया है।

Aug 7, 2011

कहीं नहीं देखी ऐसी दीवानगी-दिव्या bharati


पांच अप्रैल, 1993 को मात्र उन्नीस वर्ष की आयु में चौदह हिंदी और सात दक्षिण भारतीय फिल्में पूरी करके और एक दर्जन फिल्मों के लिए अनुबंधित दिव्या भारती की मृत्यु हो गई। वर्सोवा, मुंबई स्थित पांचवें माले पर मौजूद अपने फ्लैट की खिड़की से फिसलकर गिरीं और मृत पाई गईं। उस समय उनके घर कुछ अंतरंग मित्र मौजूद थे। पुलिस ने गहन तहकीकात के बाद उसे दुर्घटना के रूप में दर्ज करके फाइल बंद कर दी।



मृत्यु के समय अनुबंधित फिल्मों में से एक थी ‘लाडला’, जिसे बाद में श्रीदेवी के साथ बनाया गया। दिव्या भारती कुछ हद तक श्रीदेवी से मिलती-जुलती थीं, पर उनके अभिनय में एक बेबाक सा चुलबुलापन नजर आता था, जो दशकों पूर्व की बिंदास गीताबाली की याद दिलाता था।



शबनम कपूर की ‘दीवाना’ (१९९२) में दिव्या के नायक ऋषि कपूर और कथा के अनुसार उनकी तथाकथित मृत्यु के बाद युवा विधवा का दिल जीतने वाले खिलंदड़ पात्र को शाहरुख ने अभिनीत किया था और इसी भूमिका में अपनी ऊर्जा और भावना की तीव्रता के कारण शाहरुख खान को खूब सराहा गया। दिव्या और शाहरुख पर फिल्मांकित किए गए गीत- ‘ये कैसी दीवानगी.’ में दिव्या और शाहरुख खान के बीच समान गति से प्रवाहित ऊर्जा के कारण उत्पन्न प्रेम का रसायन पर्दे पर जादू सा जगा देता था।



अगर दिव्या जीवित रहतीं, तो उनकी और शाहरुख की जोड़ी प्रेम फिल्मों में भावना की तीव्रता भर देती। मात्र सोलह की उम्र में वेंकटेश के साथ उसने सफल ‘बोबिला राजा’ की। दक्षिण की दो सफलताओं पर सवार दिव्या को मुंबई के निर्माताओं ने घेर लिया। माता-पिता से छुप उसने निर्माता साजिद नाडियादवाला से प्रेम विवाह किया और सफलता के नशे में प्रेम ने एक बदहवासी, दीवानगी पैदा की।



ज्ञातव्य है कि वह दौर फिल्म उद्योग में अपराध जगत के दबदबे का दौर था। और उन दिनों यह अफवाह थी कि दिव्या पर भी अनेक दबाव थे, परंतु वे मंदाकिनी की तरह डिगी नहीं और पांच अप्रैल की रात उन्हें सजा दी गई थी। पुलिस तहकीकात में यह बेबुनियाद पाया गया।



बहरहाल, यह भी संभावना है कि धन और ख्याति की वर्षा यह मध्यम वर्ग परिवार की मामूली सी शिक्षित लड़की साध नहीं पाई और हर समय वे तरंग में रहती थीं। उस रात शायद उसने ज्यादा पी ली या ड्रग्स के साथ शराब मिला ली। यह दुखद है कि इतनी सुंदर, स्वस्थ प्रतिभाशाली कलाकार जरा सी अभिव्यक्त होकर चली गई, जैसे पूर्णिमा की रात के पहले पहर ही बदलियां छा जाएं।

1970 से अब तक वायुसेना के 999 विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए

नई दिल्ली। वायुसेना के 999 विमान 1970 के बाद से दुर्घटना के शिकार हो चुके हैं। इनमें से 34 फीसदी दुर्घटना पायलटों की गलती से हुई है। यह जानकारी रक्षा मंत्रालय ने एक संसदीय समिति को दी है।

यदि मिग21 विमान की ताजा दुर्घटना को भी शामिल कर लिया जाए, तो आंकड़ा 1000 हो जाता है।

वायुसेना के 946 मिग विमानों में से आधे से अधिक अब तक दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं।

समिति द्वारा बजटीय मांग से सम्बंधित संसद में बुधवार को पेश की गई एक रिपोर्ट में कहा गया, "मंत्रालय ने एक लिखित जवाब में 1970 से अब तक हुई विमान दुर्घटनाओं का ब्योरा दिया है। इसके मुताबिक अक तक 999 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो चुक हैं।"

उप्र: वायुसेना का जगुआर दुर्घटनाग्रस्त, दो की मौत


इन 999 मामलों में से 12 की अभी जांच चल रही है, जबकि शेष 987 में से 388 मामले में चालक दल की गलती सामने आई है।
राजस्थान में हुए मिग लड़ाकू विमान की दुर्घटना होने और पायलट के मारे जाने की घटना के अगले ही दिन रक्षा संसदीय रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि मिग बेड़े के आधे से अधिक विमान हादसों में स्वाहा हो चुके हैं।

रक्षा मंत्रालय से संबद्ध संसद की स्थायी समिति की आज संसद में पेश रिपोर्ट में मंत्रालय के हवाले से यह स्वीकार किया गया है कि मिग विमानों की ज्यादातर दुर्घटनाएं पुरानी टेक्नोलाजी की वजह से हुई हैं।

रिपोर्ट में कहा गया कि पुरानी पड़ चुकी टेक्नोलाजी के कारण मिग 21 और मिग 27 के इंजन में खराबी आने की घटनाएं आम हैं।

संसदीय समिति की रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इन विमानों की आपूर्ति करने वाले देश रूस ने भी इन्हें अपनी सेवा से बाहर कर दिया है और दुनिया में अकेली भारतीय वायुसेना ही है, जो इन विमानों पर अपना दावं लगाए हुए है।

समिति ने नए विमानों की खरीदारी की प्रक्रिया को योजनाबद्ध ढंग से पूरा करने की वकालत करते हुए मंत्रालय से कहा है कि मौजूदा विमानों के जीवनकाल को बढ़ाने तथा पायलटों की ट्रेनिंग पर नए सिरे से विचार किया जाए और मिग विमानों को जितना जल्दी संभव हो, रिटायर कर दिया जाए।

बीकानेर में मिग-21 दुर्घटनाग्रस्त, पायलट की मौत


मानवीय गलतियों में सुधार के पहलू के बारे में संसदीय समिति को बताया गया कि पायलटों की ट्रेनिंग के लिए समुचित ट्रेनर विमानों की उपलब्धता की कमी चिंता का विषय है।

इस समय वायुसेना के प्रशिक्षण विमानों के बेड़े में 114 एचपीटी, 96 किरण एमके-वन ए, 41 किरण एके-दो, 42 हॉक, 35 चेतक, 19 डोर्नियर, आठ एएन-32 परिवहन विमान और छह एवरो विमान हैं। अधिकांश ट्रेनरों में एचपीटी और किरण मार्क-1 एवं मार्क दो विमान हैं जिन्हें बदला जा रहा है।

May 8, 2011

80 अरब डॉलर खर्च कर 10 लाख लोगों से जासूसी करवाता है अमेरिका

click here विकीलीक्‍स के ताजा खुलासे से देश के सियासी गलियारे में मचे कोहराम के बीच एक बात तो साफ हो गई है कि अमेरिका भारत में स्थित अपने राजनयिकों से जासूसी करवाता रहा है। यही नहीं, अमेरिका किसी देश के आंतरिक मामलों में दखल की भी पूरी कोशिश करता है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और वहां की सेना जासूसी के इस गोरखधंधे में शामिल होती है। खुफिया मामलों के जानकारों के मुताबिक यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि अमेरिका ने पिछले साल सिविलियन और मिलिट्री जासूसी पर कितना खर्च किया है। वैसे अमेरिका के नेशनल इंटेलिजेंस के डायरेक्‍टर जेम्‍स क्‍लैपर ने बताया कि पिछले साल अमेरिका ने जासूसी के काम पर 80.1 अरब डॉलर खर्च किए। इसमें सिविल एजेंसियों पर 53.1 अरब डॉलर जबकि बाकी रकम रक्षा मंत्रालय पर खर्च की गई। जासूसी पर खर्च की जाने वाली यह रकम अमेरिका के होमलैंड सिक्‍योरिटी डिपार्टमेंट (42.6 अरब डॉलर) या विदेश मंत्रालय (48.9 अरब डॉलर) के बजट से अधिक है। इससे पहले अमेरिकी सरकार ने 1998 में खुफिया गतिविधियों पर खर्च की जाने वाली रकम (26.7 अरब डॉलर) का सार्वजनिक तौर पर खुलासा किया था।जानकारों ने नए खुलासों के आधार पर यह दावा किया है कि अमेरिकी सरकार सिविलियन इंटेलिजेंस ऑपरेशन पर हर साल 45 अरब डॉलर और रक्षा खुफिया पर 30 अरब डॉलर खर्च करती है। इस पूरे नेटवर्क में करीब दो लाख कर्मचारी जुटे हैं। 1994 में अमेरिका खुफिया गतिविधियों पर हर साल करीब 26 अरब डॉलर खर्च करता था। कैसे काम करता है अमेरिकी खुफिया तंत्र अमेरिका में आतंकवाद विरोधी, होमलैंड सिक्‍योरिटी और खुफिया से जुड़े कामों में करीब 3200 संगठन (1271 सरकारी संगठन और 1931 प्राइवेट कंपनियां) जुटी हैं। इस नेटवर्क से जुड़े 8 लाख 54 हजार लोग अमेरिका में करीब 10 हजार ठिकानों पर फैले हैं। सितम्‍बर 2001 में हुए आतंकवादी हमलों के बाद से वाशिंगटन और आसपास के इलाकों में अति गोपनीय खुफिया कार्यों के लिए 33 इमारतें तैयार की जा रही हैं या बन गई हैं। अमेरिका में साल 2001 के आखिर तक 24 संगठन बनाए गए जिनमें होमलैंड सिक्‍योरिटी का दफ्तर और फॉरेन टेररिस्‍ट एसेट ट्रैकिंग टास्‍क फोर्स शामिल हैं। 2002 में 37 और ऐसे संगठन तैयार किए गए जिनका काम व्‍यापक विनाश के हथियारों पर नजर रखना, हमले की आशंका पर नजर रखना और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के मोर्चे पर नई रणनीति तैयार करना है। इसके बाद 2004 में 36, 2005 में 26, 2006 में 31, 2007 में 32, 2008 और 2009 में 20-20 या इनसे अधिक संगठन खड़े गए। कुल मिलाकर 9/11 की घटना के बाद अमेरिका में कम से कम 263 संगठन खड़े किए गए हैं। अधिकतर सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों का काम एक जैसा ही होता है। अमेरिका के 15 शहरों फैले 51 संघीय संगठन और मिलिट्री कमान पैसे के लेन देन और आतंकवादियों के नेटवर्क पर नजर रखते हैं। जानकारों के मुताबिक विदेशी और घरेलू जासूसी से जुड़ी रिपोर्टों की संख्‍या इतनी अधिक हो जाती है कि हर साल करीब 50 हजार खुफिया रिपोर्टों को कूड़ेदान में फेंकना पड़ता है। अमेरिकी प्रशासन के मौजूदा और पूर्व अधिकारियों के हवाले से ‘वाशिंगटन पोस्‍ट’ लिखता है कि अमेरिका की राष्‍ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) द्वारा अपने नागरिकों की जासूसी के दौरान इकट्ठा की गई सूचनाओं तक संघीय जांच एजेंसी (एफबीआई), रक्षा खुफिया एजेंसी (डीआईए), सीआईए और होमलैंड सिक्‍योरिटी डिपार्टमेंट की भी पहुंच होती है। अमेरिकी प्रशासन की ओर से अपने ही नागरिकों की जासूसी करने की बात उस वक्‍त सामने आई जब इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स फ्रंटियर फाउंडेशन नामक संगठन के हाथ ऐसे दस्‍तावेज हाथ लगे जिससे साफ हो गया कि खुफिया एजेंट सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स के जरिये कई तरह के लोगों से दोस्‍ती कर मौजूदा हालात की जानकारी इकट्ठा करते हैं। यदि कोई आदमी इन एजेंटों के जाल में फंस कर वेबसाइट पर दोस्‍ती कर लेता है तो एजेंट यूजर से नजदीकी बढ़ाकर कई तरह की जानकारियां हासिल कर लेते हैं। भारतीय राजनयिकों की जासूसी खोजी वेबसाइट विकीलीक्स के खुलासे से भारत, अमेरिका सहित दुनिया के अधिकतर देशों में सियासी कोहराम मचा है। खुलासे से साफ हुआ है कि अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजनयिकों की जासूसी के आदेश दिए थे। संदेशों से साफ है कि अमेरिका ने इसके अलावा चीन और पाकिस्तान के राजनयिकों की जासूसी करवाई है। पिछले साल विकीलीक्‍स ने अमरीकी दूतावासों की ओर से भेजे गए जिन करीब ढाई लाख संदेशों को सार्वजनिक किया, उनमें से 3038 संदेश नई दिल्‍ली स्थित अमेरिकी दूतावास से भेजे गए हैं। विकीलीक्‍स के खुलासों के मुताबिक अमेरिका संयुक्‍त राष्‍ट्र के महासचिव बान की मून सहित यूएन नेतृत्‍व और सुरक्षा परिषद में शामिल चीन, रूस, फ्रांस व ब्रिटेन के प्रतिनिधियों की जासूसी में भी जुटा है। हालांकि विकिलीक्‍स के इस खुलासे पर अमेरिका भड़क गया। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता पी जे क्राउले ने कहा, ‘हमारे राजनयिकों द्वारा जुटाई गई सूचनाएं हमारी नीतियों और कार्यक्रमों को अमली जामा पहनाने में मददगार होती हैं। हमारे राजनयिक ‘डिप्‍लोमैट्स’ ही हैं जासूस नहीं।’ अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने विकीलीक्‍स की हरकत को गैरजिम्‍मेदाराना करार दिया। पेंटागन ने इन सूचनाओं की गोपनीयता बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठाने भी शुरू कर दिए हैं। यूएन में अमेरिकी दूत सुसान राइस ने भी क्राउले की तर्ज पर अपने राजनयिकों का बचाव किया है। उन्‍होंने कहा, ‘हमारे राजनयिक भी वही करते हैं जो दुनियाभर में अन्‍य देशों के जासूस हर दिन करते हैं। इनका काम संबंधों को मजबूत बनाने, बातचीत की प्रक्रिया जारी रखने और जटिल समस्‍याओं का हल ढूंढने में मदद करना है।’ पाकिस्‍तान में दो नागरिकों की हत्‍या के आरोप में गिरफ्तार किया गया रेमंड डेविस भी अमेरिकी जासूस बताया गया। हालांकि अमेरिका ने पाकिस्तान को यह समझाने की कोशिश की कि डेविस को राजनयिक दर्जा हासिल है इसलिए उन्हें वापस अमेरिका भेजा जाना चाहिए। आपकी राय क्‍या अमेरिका के जासूसी जाल से बचना मुमकिन नहीं रह गया है या फिर सरकारें अपना हित और अमेरिकी रौब को देखते हुए घुटने टेक कर उसके जाल में फंसने के लिए तैयार रहती हैं।

Mar 3, 2011

सबसे महंगी शादी: 250 करोड़ में हुआ विधायक की बेटी का भव्य विवाह

नई दिल्ली। और जैसी कि उम्मीद थी प्रदेश के सोहना विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे सुखबीर सिंह जौनापुरिया ने देश भर में एक रिकॉर्ड कायम कर दिया। यह रिकॉर्ड है बेटी की सबसे महंगी और भव्य शादी का। इसके पहले तक प्रदेश के लोग फरीदाबाद के सांसद अवतार सिंह भड़ाना की बेटी की शादी को याद करते थे। भड़ाना की बेटी की शादी पानीपत निवासी सफीदों के पूर्व विधायक बच्चन सिंह आर्य के बेटे अशोक आर्य से हुई है। जौनापुरिया की बेटी योगिता की शादी सोमवार रात दिल्ली के जाने माने गुर्जर नेता कंवर सिंह तंवर के बेटे ललित तंवर से हुई। बताया जाता है कि शादी में कुल लगभग 250 करोड़ रुपए खर्च किए गए। दूल्हे को टीके की रस्म में बतौर शगुन ढाई करोड़ रुपए दिए गए तो परिवार के डेढ़ दर्जन सदस्यों को टीके के समय शगुन के रूप में एक-एक करोड़ रुपए दिए गए। लगभग 2000 बारातियों में से सभी को 11 हजार से लेकर 21 हजार रुपए, 30-30 ग्राम के चांदी के बिस्कुट व एक-एक सफारी सूट दिए गए। इस शादी में कई हजार लोगों ने शिरकत की। आसपास के सभी गांवों को इस शादी में निमंत्रण दिया गया था। सगाई पर दूल्हे को 45 करोड़ रुपये का हेलिकॉप्टर दिया गया था। फूलों से महका सारा रास्ता विवाह समारोह के लिए बनाए गए पंडाल से लगभग चार किलोमीटर पहले से ही भव्य प्रकाश व्यवस्था की गई थी। सात घोड़ों के रथ पर सवार दूल्हा बने ललित के विवाह मंडप में पहुंचते ही आतिशबाजी से पूरा आसमान नहा उठा। बारातियों का रास्ता फूलों से महक रहा था। कोलकाता से लेकर बैंकॉक तक से फूल मंगाए गए थे। मीनू में डेढ़ सौ से ज्यादा व्यंजन थे, जिनमें चांदनी चौक की चाट से लेकर हैदराबादी बिरयानी तक थी।

Mar 2, 2011

दो बोतल व्हिस्की 1.4 करोड़ रुपए में बिकी

नई दिल्ली: शराब के शौकीन अपने शौक को पूरा करने के लिए किस हद तक जा सकते हैं, इसकी मिसाल हाल ही में देखने को मिली जब व्हिस्की पीने के शौकीन दो लोगों ने ग्लासगो में डलमोर 64 ट्रिनिटास व्हिस्की की दो बोतल खरीदने के लिए दो लाख पौंड (करीब 1.4 करोड़ रुपए) खर्च किए। चौंसठ साल पुरानी इस शराब की केवल तीन बोतलें तैयार की गई थीं जिसमें से एक बोतल अमेरिका के एक व्यक्ति ने, जबकि दूसरी बोतल ब्रिटेन के एक प्रतिष्ठित व्हिस्की निवेशक ने एक-एक लाख पौंड में खरीदी। डलमोर व्हिस्की तैयार करने वाली कंपनी व्हाइट एंड मैके के युनाइटेड स्प्रिट्सि तीसरी बोतल अक्तूबर के अंत में लंदन में होने वाले एक व्हिस्की शो में रिकार्ड कीमत में बेचने की योजना बनाई है। कंपनी का दावा है कि विश्व के इतिहास में पहली बार व्हिस्की ने लाख पौंड का स्तर छूआ है।

नाम और शोहरत दिलाती है हाथ में बनी 'यह रेखा'

आप कितने अमीर हैं... या कितने भाग्यशाली हैं... या सफलता के किस शिखर तक आप पहुंचेंगे... इन प्रश्नों के उत्तर भी आपके हाथों की लकीरों में लिखा हैं। वैसे तो काफी कुछ भाग्य रेखा पर निर्भर करता है परंतु सूर्य रेखा भी भाग्य रेखा के साथ अच्छी स्थिति में हो तो वह व्यक्ति सफलता के नए आयाम स्थापित करता है। कहां होती हैं सूर्य रेखा? ज्योतिष शस्त्र के अनुसार सूर्य रेखा व्यक्ति के यश, गौरव, मान-सम्मान, प्रसिद्धि को दर्शाती है। यह रेखा सभी के हाथों में नहीं होती, गरीबों के हाथों में तो होती ही नहीं है। सूर्य रेखा जीवन रेखा या भाग्य रेखा या चंद्र क्षेत्र या मस्तिष्क रेखा या मंगल क्षेत्र (हथेली के मध्य क्षेत्र को मंगल क्षेत्र कहते हैं) से शुरू होकर अनामिका (रिंग फिंगर) तक जाती है। यह रेखा जिसके हाथ में होती है वह व्यक्ति कलाप्रेमी होता है और खूब यश और मान-सम्मान प्राप्त करता है। - यदि सूर्य रेखा जीवन रेखा से प्रारंभ हो तो व्यक्ति सुदंरता की पूजा करने वाला होता है। अन्य रेखाएं दोष रहित तो व्यक्ति कला के क्षेत्र में यश प्राप्त करता है। - यदि यह रेखा भाग्य रेखा से प्रारंभ हो तो व्यक्ति राजा के समान सुख प्राप्त करता है। - यदि सूर्य रेखा चंद्र क्षेत्र से शुरू हो तो वह व्यक्ति सफलता अन्य लोगों की मदद से प्राप्त करता है। साथ मस्तिष्क रेखा चंद्र क्षेत्र की ओर झुकी हो तो व्यक्ति लेखन के क्षेत्र में नाम और पैसा कमाता है। - यह रेखा हथेली के प्रारंभ से जितनी दूरी से शुरू होती है व्यक्ति को यश और मान-सम्मान उतनी ही अधिक आयु के बाद प्राप्त होता है। - यह रेखा एकदम स्पष्ट हो तो व्यक्ति काफी संवेदनशील होता है। - सूर्य क्षेत्र (अनामिका उंगली के नीचे का क्षेत्र) पर अधिक रेखाएं हो तो व्यक्ति कलाप्रिय होता है और कई योजनाएं बनाता है सभी योजनाओं पर ठीक से कार्य नहीं कर पाता। - सूर्य रेखा ना होने पर व्यक्ति बहुत मेहनत करता है परंतु उसे यश प्राप्त नहीं हो पाता और ऐसा व्यक्ति हमेशा अपेक्षित सम्मान के लिए तरसता रहता है। - सूर्य रेखा वाला व्यक्ति प्रसन्नचित और उत्साही होता है।