एक युवक...
मैं तकरीबन २० साल के बाद विदेश से अपने
शहर लौटा था! बाज़ार में घुमते हुए
सहसामेरी नज़रें सब्जी का ठेला लगाये एक
बूढे पर जा टिकीं,बहुत कोशिश के बावजूद
... भी मैं उसको पहचान नहीं पा रहा था !
लेकिन न जाने बार बार ऐसा क्यों लग
रहा था कीमैं उसे बड़ी अच्छी तरहसे
जनता हूँ ! मेरी उत्सुकता उस बूढ़ेसे
भी छुपी न रही , उसके चेहरे पर आई
अचानक मुस्कान से मैं समझ
गया था कि उसने मुझे पहचान लिया था!
काफी देर की जेहनी कशमकश के बाद जब
मैंने उसे पहचाना तो मेरे पाँव के नीचे से
मानो ज़मीन खिसक गई ! जब मैं विदेश
गया था तोइसकी एक बहुतबड़ी आटा मिल
हुआ करती थी नौकर चाकर आगे पीछे
घूमा करते थे ! धर्म कर्म, दान पुण्य में सब
सेअग्रणी इस दानवीर पुरुष को मैं
ताऊजी कह कर बुलाया करता था !
वही आटा मिल का मालिक और
आजसब्जी का ठेला लगाने पर मजबूर? मुझ से
रहा नहीं गयाऔर मैं उसके पास
जा पहुँचा और बहुत मुश्किल से रुंधेगले से
पूछा :
"ताऊ जी, ये सब कैसे हो गया?"
भरी ऑंखें लिए मेरे कंधे पर हाथ रख उसने
उत्तर दिया:
"बच्चे बड़े हो गए हैं बेटा...!!!
Showing posts with label BEST STORIES. Show all posts
Showing posts with label BEST STORIES. Show all posts
Apr 11, 2013
Apr 6, 2013
नेता जी मुझे लगता है मुझसे ज्यादा गरीब तो आप हैं ..!
उस छोटे कस्बे के चौराहे पर 1 भिखारी इसी आश में बैठा था
की कोई आये और उसके कटोरे में कुछ पैसे डाले
तो उसके आज के खाने का जुगाड़ बने
तभी एक गाड़ी वहाँ आ के रुकी।।गाड़ी से नेता जी का उतरना हुआ ..
भिखारी की तो मनो किस्मत ही खुल गई ,
... नेता जी सुखा प्रभावित क्षेत्र में निरीक्षणके लिए आये थे-
वो अपने सहायक से कुछ बात कर रहे थे
भिखारी बैठा उन्हें सुन रहा था
नेता जी :-
“आपको पता ही है कि मैं कल मिनाली जा रहा हूँ।
सुना है,वहाँ अच्छी ठंड पड़ रही है।
सहायक - "हाँ सर"
नेता जी - तो सुखा पीड़ितों के लिए जो बजट हमें मिला था,
उसमें अभी पचास हज़ार शेष हैं। इसी से आप मेरे लिए दस्ताने,
टोपी, सन ग्लासेस, जैकेट, स्लीपिंग बैग
और दौरे में खाना गर्म रखने के लिए कैसेरोल का
एक सैट खरीद लें।”
“सर!...” सहायक ने सकुचाने का सुंदर अभिनय करतेहुए कहा -
अगर आपकी आज्ञा है तो मैं भी अपने लिए
उसी में ‘एडजस्ट’ करवा लूँ।”
“ठीक है---ठीक है--नेता जी ने मुस्कराते हुए कहा ..
और वहा से चलने लगे !!
तो भिखारी ने अपना कटोरा उठाया
और नेता जी के पास आ पहुँचा ..
नेता जी ने तुरंत तत्परता दिखाते हुए कटोरे में
पाँच का सिक्का डाल दिया ..
भिखारी - साहब मुझे आप से कुछ नहीं चाहिए
मैं आप को कुछ देने आया हूँ
क्या ...? नेता जी ने आश्चर्यचकित हो कर पूंछा
भिखारी- साहब इस कटोरे की जरुरत मुझे नहीं आप को है ..
मैंने आप की सारी बाते सुनी ..
मुझे लगता है मुझसे ज्यादा गरीब तो आप हैं ..!
अब नेता जी का चेहरा देखने लायक था .... !!
Labels:
BEST STORIES,
inspiral
Apr 5, 2013
मौजुदा कानुन महिलाओँ के सुरक्षा के लिए पर्याप्त नहीँ हैँ।
लड़की अपनी धुन में मस्त चली जा रही थी।
रात के सन्नाटे में उस आधुनिका के सैंडिलों से उठती खट्–खट् की आवाज काफी दूर तक सुनाई दे रही थी।
जैसे ही वह उस पॉश कालोनी के बीचों बीच बनेपार्क के नजदीक पहुंची,
वहां पहले से छिपे बैठे दो बदमाश उससे छेड़छाड़ करने लगे।
लड़की ने कान्वेंटी अन्दाज में ‘‘शट अप! यू.....बास्टर्ड !!’’ वगैरह–वगैरह कहकर अपना बचाव करना चाहा, पर जब वे अश्लील हरकतें करते हुए उसके कपड़े नोचने लगे तो वह‘‘बचाओ...बचाओ ....’’ कहकर चिल्लाने लगी।
... उसकी चीख पुकार पार्क के चारों ओर कतार से बनी कोठियों से टकरा कर लौट आई। कोई बाहर नहीं निकला।
वे लड़की को पार्क में झुरमुट की ओर खींच रहे थे। उनके चंगुल से मुक्त होने के लिए वह बुरी तरह छटपटा रही थी।
तभी वहां से गुजर रहे एक लावारिस कुत्ते की नजर उन पर पड़ी। वह जोर–जोर से भौंकने लगा। जब उसके भौंकने का बदमाशों पर कोई असर नहीं हुआ तो वह बौखलाकर इद्दर–उधर दौड़ने लगा।
कभी घटना स्थल की ओर आता तो कभी किसी कोठी के गेट के पास जाकर भौंकने लगता मानो वहां रहने वालों को इस घटना के बारे में सूचित करना चाहता हो।
उसके इस प्रयास पर लोहे के बड़े–बड़े गेटों के उस पार तैनात विदेशी नस्ल के पालतू कुत्तेउसे हिकारत से देखने लगे। संघर्षरत लड़की के कपड़े तार–तार हो गए थे, हाथ–पैर शिथिल पड़तेजारहे थे। बदमाशों को अपने मकसद में
कामयाबी मिलती नजर आ रही थी। यह देखकर गली का कुत्ता मुंह उठाकर
जोर–जोर से रोने लगा। कुत्ते के रोने की आवाजइस
बार कोठियों से टकराकर वापस नहीं लौटी
क्योंकि वहां रहने वालों कोअच्छी तरह मालूम था कि कुत्ते के रोने से घर में अशुभ होता है।देखते ही देखते तमाम कोठियों में चहल– पहल दिखाई देनेलगी। छतों पर बालकनियों पर बहुत से लोग दिखाई देने लगे।
उनके आदेश पर बहुत से वाचमैन लाठियां–डंडें लेकर कोठियों से बाहर निकले और उस कुत्ते पर पिल पड़े।
लेकिन उस संघर्षरत अबला लड़की की किसी ने मददनहीँ की अततः बबरर्तापुर्वक ब्लात्कार कि शिकार उस मासुम अबला ने दम तोड़ दिया
अगले दिन शहर के पाश कलोनी के तथाकथित
सभ्य व्यक्तियोँ ने गैँग रेप के विरोध मेँ कैँडल मार्च निकाला कुछ लोग इंडिया गेट पर प्रर्दशन करते हुये सरकार से कानुन मेँ बदलाव की माँग की
क्योँकी इन सभ्य व्यक्तियोँ के अनुसार -:
"मौजुदा कानुन महिलाओँ के सुरक्षा के लिए पर्याप्त नहीँ हैँ।"
(वैधानिक चेतावनी : यह कहानी एक काल्पनिक कहानी हैँ इसका किसी भी घटना से कोई संबंध नहीँ हैँ , इस कहानी का एकमात्र उद्येश्य समान्य जनोँ को जागरुक करना हैँ)
Labels:
BEST STORIES,
inspiral
Apr 4, 2013
वह खुशनसीब है जिसने खाया और दान-धर्म भी किया और वह बदनसीब है, जिसने जमा किया और छोड़कर
एक बूढ़ा था जो शहर की गलियों-गलियों घूमता और चिल्लाता जाता था - "मूर्ख हूँ- मूर्ख हूँ " लोग उसकी बात पर ध्यान न देते, क्यों कि सब उसे पागल समझते थे। बच्चे उसे परेशान करते। बड़े उसे दुत्कारते।
एक दिन एक अक्लमंद आदमी ने उसे सहानुभूतिपूर्वक खाना खिलाया, कपड़े आदि दिए और प्रेम से
पूछा- " क्यों भाई, ये क्या चिल्लाते रहते हो- " मूर्ख हूँ-मूर्ख हूँ " ?
... मुझे तुम ज़रा भी मूर्ख नहीं लगते।"
वह अचानक रो उठा। बोला- " तुमने डूबा गाँव का नाम सुना होगा। आज से तीस साल पहले वहां भयंकर बाढ़ आई थी। उसमें मेरा सर्वस्व डूब गया था। मैं उस गाँव का सबसे धनी साहूकार था। मैंने जिन्दगी भर अपना और अपने कुटुम्ब का पेट काट-काट कर धन जोड़ा था. न खाया, ना दान-धर्म किया।
मुझसे बडा मूर्ख कौन होगा।" इतना कह वह शहर के बाहर खण्डहर की और भाग गया।
अक्लमंद आदमी के मुंह से निकल गया - "
बेचारा बदनसीब "
सीख :- वह खुशनसीब है जिसने खाया और दान-धर्म भी किया और वह बदनसीब है, जिसने जमा किया और छोड़कर मर गया ।
by
प्रभाकर
Labels:
BEST STORIES,
MOTIVATIONAL
Apr 1, 2013
एक समय की बात है|....
एक समय की बात है|चाइना में लिली नाम की एक लड़की रहेती थी|
वह शादी करके अपने पति और सासुमा के साथ रहने लगती है|
लिली जल्दी से ससुमा के साथ adjust नहीं कर पाती है| लिली को
ससुमा का स्वाभाव अच्छा नहीं लगता है और सासुमा भी हर वक्त
लिली की बुराइयाँ निकलती रहती है| दिन ब दिन उनका रिश्ता
बिगड़ता जाता है | गुस्सा मारा मारी झगड़ा चलता रहेता है|
बिचारा पती टेंशन में जीता रहता है|आखिर में लिली बहुत हे
कंटाल जाती है | क्योंकि उसकी सासुमा उसकी हमेशा बेइज्जती
करती रहेती है|
लिली इतनी परेशान हो जाती है की वो सोचती है की अभी सासुमा
को ही ख़त्म कर देते है हमेशा के लिए| लिली एक ऐसे वैदराज गर्ग
के पास पहुँचती है जो उसके पिताजी के खास दोस्त थे और लिली उन्हें
संझाती है की कैसे उसकी साँस ने उसका जीना हराम कर दिया है|
और उन्हें कहेती है की ऐसा जहर दो की उसकी सासुमा खा कर
तुरंत मर जाए |
वैदराज गर्ग थोडा सा सोचते है और कहेते है की ठीक है मै तुम्हारी
समस्या का हमेशा का हल निकाल देता हूँ| पर तुम्हे मेरी बाते द्यान
से समझनी होगी | लिली कहेती है ठीक है वैदराज जी आप जैसा कहोगे
मै वैसा ही करुँगी | वैदराज अन्दर जाते है और कुछ गोलियां लेकर
वापिस आते है | वह लिली को समझाते है की वह उसकी सासुमा के लिए
धीमा जहर दे रहे है | अगर तेज जहर देंगे तो लोगो को शक होगा की
लिली ने ही उसे मार दिया है | लिली को समझाते है की रोज अच्छा खाना
बनाना और एक गोली सुबह और एक गोली रात को खाने में डाल देना|
हाँ याद रहे किसी को शक ना पड़े इस लिए सावधान रहेना|
और इसलिए सासुमा से अच्छे से रहेना | उसके साथ कोई वाद विवाद ना
करना और जैसा कहे हर बात मान ना| उसकी ऐसी सेवा करना की
वह खुश हो जाए और जीतना वह तुम्हारे ऊपर खुश होगी उतना ही
जहर उसके ऊपर काम करेगा |और लगबग छह महीनो के करीब
तुम्हारी सासुमा का राम नाम एक हो जायेगा|
समय बीतता गया और लिली वैसा ही करती रही जैसा वैदराज ने कहा
था |वह उसकी माँ के साथ ऐसा बर्ताव करने लगी जैसे की वो अपनी खुद की
माँ हो| कुछ ही समय में लिली का स्वभाव बदलने लगा | वह जैसा सासुमा
बोले वैसा ही करने लगी | कभी वाद विवाद नहीं किया और अपने गुस्से
को भी कंट्रोल करना सिख गई |
धीरे धीरे सासुमा भी कुश रहने लगी और बहुत ही अच्छा चलने लगी |
सासुमा का भी स्वाभाव बहुत हे अच्छा रहने लगा | जो सासुमा हमेशा
लिली का अपमान करती थी वो अब सभी लोगो के सामने लिली की
तारीफ़ करने लगी थी | साँस और बहु ऐसे रहने लगे जैसे की सगे माँ
और बेटी हो| लिली का पती भी बहुत ही खुश रहने लगा | लिली
रोज रोज सासुमा के स्वादिस्ट भोजन में थोडा थोडा जहर डालती
रहेती थी|
एक दिन लिली दौड़ती दौड़ती वैधराज के पास पहुंची और कहने लगी
वैधराज जी प्लीज फीर से मेरी मदद कीजिये मै अपनी प्यारी सासुमा
को नहीं मारना चाहती प्लीज ऐसी दवा दीजिये की मेरी सासुमा का
जहर समाप्त हो जाए | क्योंकि मेरी सासुमा बहुत अच्छी है और मुझे
बहुत ही प्यार करती है |
वैदराज मुस्कुराये और कहने लगे की चिंता की कोई बात नहीं है|
क्योंकि जो मैंने तुम्हे दिया वो जहर नहीं पर विटामिन की गोली थी|
जहर तो तुम्हारे दिमाग में था जो अब निकल चूका है|
वह शादी करके अपने पति और सासुमा के साथ रहने लगती है|
लिली जल्दी से ससुमा के साथ adjust नहीं कर पाती है| लिली को
ससुमा का स्वाभाव अच्छा नहीं लगता है और सासुमा भी हर वक्त
लिली की बुराइयाँ निकलती रहती है| दिन ब दिन उनका रिश्ता
बिगड़ता जाता है | गुस्सा मारा मारी झगड़ा चलता रहेता है|
बिचारा पती टेंशन में जीता रहता है|आखिर में लिली बहुत हे
कंटाल जाती है | क्योंकि उसकी सासुमा उसकी हमेशा बेइज्जती
करती रहेती है|
लिली इतनी परेशान हो जाती है की वो सोचती है की अभी सासुमा
को ही ख़त्म कर देते है हमेशा के लिए| लिली एक ऐसे वैदराज गर्ग
के पास पहुँचती है जो उसके पिताजी के खास दोस्त थे और लिली उन्हें
संझाती है की कैसे उसकी साँस ने उसका जीना हराम कर दिया है|
और उन्हें कहेती है की ऐसा जहर दो की उसकी सासुमा खा कर
तुरंत मर जाए |
वैदराज गर्ग थोडा सा सोचते है और कहेते है की ठीक है मै तुम्हारी
समस्या का हमेशा का हल निकाल देता हूँ| पर तुम्हे मेरी बाते द्यान
से समझनी होगी | लिली कहेती है ठीक है वैदराज जी आप जैसा कहोगे
मै वैसा ही करुँगी | वैदराज अन्दर जाते है और कुछ गोलियां लेकर
वापिस आते है | वह लिली को समझाते है की वह उसकी सासुमा के लिए
धीमा जहर दे रहे है | अगर तेज जहर देंगे तो लोगो को शक होगा की
लिली ने ही उसे मार दिया है | लिली को समझाते है की रोज अच्छा खाना
बनाना और एक गोली सुबह और एक गोली रात को खाने में डाल देना|
हाँ याद रहे किसी को शक ना पड़े इस लिए सावधान रहेना|
और इसलिए सासुमा से अच्छे से रहेना | उसके साथ कोई वाद विवाद ना
करना और जैसा कहे हर बात मान ना| उसकी ऐसी सेवा करना की
वह खुश हो जाए और जीतना वह तुम्हारे ऊपर खुश होगी उतना ही
जहर उसके ऊपर काम करेगा |और लगबग छह महीनो के करीब
तुम्हारी सासुमा का राम नाम एक हो जायेगा|
समय बीतता गया और लिली वैसा ही करती रही जैसा वैदराज ने कहा
था |वह उसकी माँ के साथ ऐसा बर्ताव करने लगी जैसे की वो अपनी खुद की
माँ हो| कुछ ही समय में लिली का स्वभाव बदलने लगा | वह जैसा सासुमा
बोले वैसा ही करने लगी | कभी वाद विवाद नहीं किया और अपने गुस्से
को भी कंट्रोल करना सिख गई |
धीरे धीरे सासुमा भी कुश रहने लगी और बहुत ही अच्छा चलने लगी |
सासुमा का भी स्वाभाव बहुत हे अच्छा रहने लगा | जो सासुमा हमेशा
लिली का अपमान करती थी वो अब सभी लोगो के सामने लिली की
तारीफ़ करने लगी थी | साँस और बहु ऐसे रहने लगे जैसे की सगे माँ
और बेटी हो| लिली का पती भी बहुत ही खुश रहने लगा | लिली
रोज रोज सासुमा के स्वादिस्ट भोजन में थोडा थोडा जहर डालती
रहेती थी|
एक दिन लिली दौड़ती दौड़ती वैधराज के पास पहुंची और कहने लगी
वैधराज जी प्लीज फीर से मेरी मदद कीजिये मै अपनी प्यारी सासुमा
को नहीं मारना चाहती प्लीज ऐसी दवा दीजिये की मेरी सासुमा का
जहर समाप्त हो जाए | क्योंकि मेरी सासुमा बहुत अच्छी है और मुझे
बहुत ही प्यार करती है |
वैदराज मुस्कुराये और कहने लगे की चिंता की कोई बात नहीं है|
क्योंकि जो मैंने तुम्हे दिया वो जहर नहीं पर विटामिन की गोली थी|
जहर तो तुम्हारे दिमाग में था जो अब निकल चूका है|
Labels:
BEST STORIES
Mar 29, 2013
एक आदमी जंगल से गुजर रहा था
एक आदमी जंगल से गुजर रहा था । उसे
चार स्त्रियां मिली ।
उसने पहली से पूछा - बहन तुम्हारा नाम क्या हैं ?
उसने कहा -: "बुद्धि "!
तुम कहां रहती हो?
... उसने कहा-: मनुष्य के दिमाग में।
दूसरी स्त्री से पूछा - बहन तुम्हारा नाम क्या हैं ?
" लज्जा "।
तुम कहां रहती हो ?
उसने कहा-: आंख में ।
तीसरी से पूछा - तुम्हारा क्या नाम हैं ?
"हिम्मत"
कहां रहती हो ?
उसने कहा-: दिल में ।
चौथी से पूछा - तुम्हारा नाम क्या हैं ?
"तंदुरूस्ती"
कहां रहती हो ?
उसने कहा-: पेट में।
वह आदमी अब थोडा आगे बढा तों फिर उसे चार पुरूष मिले।
उसने पहले पुरूष से पूछा - तुम्हारा नाम क्या हैं ?
" क्रोध "
कहां रहतें हो ?
दिमाग में,
दिमाग में तो बुद्धि रहती हैं,
तुम कैसे रहते हो?
उसने कहा-: जब मैं वहां रहता हुं तो बुद्धि वहां से विदा हो जाती हैं।
दूसरे पुरूष से पूछा - तुम्हारा नाम क्या हैं?
उसने कहां -" लोभ"।
कहां रहते हो?
आंख में।
आंख में तो लज्जा रहती हैं तुम कैसे रहते हो।
उसने कहा-: मेरे रहते लज्जा का कोई ठिकाना नहीं है
मै कुछ भी करवा सकता हूँ ..चोरी ,डकैती, हत्या आदि
तीसरें से पूछा - तुम्हारा नाम क्या हैं ?
जबाब मिला "भय"।
कहां रहते हो?
दिल में तो हिम्मत रहती हैं तुम कैसे रहते हो?
उसने कहा-: जब मैं आता हूं तो हिम्मत भाग जाती है ..!!
चौथे से पूछा - तुम्हारा नाम क्या हैं ?
उसने कहा - "रोग"।
कहां रहतें हो?
पेट में।
पेट में तो तंदरूस्ती रहती हैं,
उसने कहा-: तुम जैसे सहनशील व्यक्ति जब अपना संतुलन खो देते हो
तब मैं आता हूँ और तन्दरुस्ती को भगा कर तुम्हारे शरीर में राज
करता हूँ ...!!
चार स्त्रियां मिली ।
उसने पहली से पूछा - बहन तुम्हारा नाम क्या हैं ?
उसने कहा -: "बुद्धि "!
तुम कहां रहती हो?
... उसने कहा-: मनुष्य के दिमाग में।
दूसरी स्त्री से पूछा - बहन तुम्हारा नाम क्या हैं ?
" लज्जा "।
तुम कहां रहती हो ?
उसने कहा-: आंख में ।
तीसरी से पूछा - तुम्हारा क्या नाम हैं ?
"हिम्मत"
कहां रहती हो ?
उसने कहा-: दिल में ।
चौथी से पूछा - तुम्हारा नाम क्या हैं ?
"तंदुरूस्ती"
कहां रहती हो ?
उसने कहा-: पेट में।
वह आदमी अब थोडा आगे बढा तों फिर उसे चार पुरूष मिले।
उसने पहले पुरूष से पूछा - तुम्हारा नाम क्या हैं ?
" क्रोध "
कहां रहतें हो ?
दिमाग में,
दिमाग में तो बुद्धि रहती हैं,
तुम कैसे रहते हो?
उसने कहा-: जब मैं वहां रहता हुं तो बुद्धि वहां से विदा हो जाती हैं।
दूसरे पुरूष से पूछा - तुम्हारा नाम क्या हैं?
उसने कहां -" लोभ"।
कहां रहते हो?
आंख में।
आंख में तो लज्जा रहती हैं तुम कैसे रहते हो।
उसने कहा-: मेरे रहते लज्जा का कोई ठिकाना नहीं है
मै कुछ भी करवा सकता हूँ ..चोरी ,डकैती, हत्या आदि
तीसरें से पूछा - तुम्हारा नाम क्या हैं ?
जबाब मिला "भय"।
कहां रहते हो?
दिल में तो हिम्मत रहती हैं तुम कैसे रहते हो?
उसने कहा-: जब मैं आता हूं तो हिम्मत भाग जाती है ..!!
चौथे से पूछा - तुम्हारा नाम क्या हैं ?
उसने कहा - "रोग"।
कहां रहतें हो?
पेट में।
पेट में तो तंदरूस्ती रहती हैं,
उसने कहा-: तुम जैसे सहनशील व्यक्ति जब अपना संतुलन खो देते हो
तब मैं आता हूँ और तन्दरुस्ती को भगा कर तुम्हारे शरीर में राज
करता हूँ ...!!
Labels:
BEST STORIES
Mar 28, 2013
पनीर का टुकड़ा
मंगरूआ की बेटी की शादी थी,
... शादी के लिये मंगरूआ ने पूरे तीस हजार रूपये इकठ्ठा किये थे.
घरातियो ने बस गुड़ पानी लिया,
चूकी बेटी की शादी मेँ गाँव वाले खाना नहीँ खाये.
साठ बारातियो के लिये चावल और छोले का इंतजाम हो रहा था.
चाय के लिये रखा गया आधा किलो दूध फट गया.
फूफाजी ने पनीर के चार गोले बनाकर छोले मेँ डाल दिये,
सोचे की बाद मेँ अपने लिये निकाल लेंगे.
पनीर के टुकडे पे जीजाजी की भी नजर पड गई.
बारात आ गई,
बारातियो के खाने का इंतजाम शुरु हो गया.
इधर जीजा जी और फूफाजी पनीर की टोह मेँ छोले के पास ही रहे.
खुद से ही छोले चलाने लगे.
इधर बारातियो ने जमकर खाना शुरु किया,
चावल कम पड़ गये.
घर मेँ कोहराम मच गया.
घर की महिलाओ ने दही मेँ हल्दी मिलाकर बारातियो पे छिंटे मारने लगी.
बेचारे बाराती आधे-अधूरे भरे पेट से उठ कर भाग गये खाने से,
कपडे जो बचाने थे.
तभी फुफाजी को एक पनीर का टुकड़ा मिला,
शायद एक ही बचा था.
बाकी टुकडे शायद बारातियो के प्लेट मेँ जा चूके थे.
जीजाजी और फूफाजी अपना अधिकार जताने लगे पनीर के लजीज टुकड़े पर.
दोनो प्लेट पे एक साथ हाथ रख कर एक दुसरे को उठाने नहीँ दे रहे थे.
अचानक आपाधापी मेँ टुकड़ा नीचे गिर पड़ा.
गिरते ही गाँव का मरियल कुत्ता शेरू अपने जबड़े में दबाकर रफ्फूचक्कर हो गया.
फूफाजी और जीजाजी हाथ मलते रह गये.
इसके बाद दोनो दूध के बर्तन के आस-पास देखे गये...
...कि कब दूध फटे और कब....
;-)
thanks to :-
सन्नि कुमार तिवारी
... शादी के लिये मंगरूआ ने पूरे तीस हजार रूपये इकठ्ठा किये थे.
घरातियो ने बस गुड़ पानी लिया,
चूकी बेटी की शादी मेँ गाँव वाले खाना नहीँ खाये.
साठ बारातियो के लिये चावल और छोले का इंतजाम हो रहा था.
चाय के लिये रखा गया आधा किलो दूध फट गया.
फूफाजी ने पनीर के चार गोले बनाकर छोले मेँ डाल दिये,
सोचे की बाद मेँ अपने लिये निकाल लेंगे.
पनीर के टुकडे पे जीजाजी की भी नजर पड गई.
बारात आ गई,
बारातियो के खाने का इंतजाम शुरु हो गया.
इधर जीजा जी और फूफाजी पनीर की टोह मेँ छोले के पास ही रहे.
खुद से ही छोले चलाने लगे.
इधर बारातियो ने जमकर खाना शुरु किया,
चावल कम पड़ गये.
घर मेँ कोहराम मच गया.
घर की महिलाओ ने दही मेँ हल्दी मिलाकर बारातियो पे छिंटे मारने लगी.
बेचारे बाराती आधे-अधूरे भरे पेट से उठ कर भाग गये खाने से,
कपडे जो बचाने थे.
तभी फुफाजी को एक पनीर का टुकड़ा मिला,
शायद एक ही बचा था.
बाकी टुकडे शायद बारातियो के प्लेट मेँ जा चूके थे.
जीजाजी और फूफाजी अपना अधिकार जताने लगे पनीर के लजीज टुकड़े पर.
दोनो प्लेट पे एक साथ हाथ रख कर एक दुसरे को उठाने नहीँ दे रहे थे.
अचानक आपाधापी मेँ टुकड़ा नीचे गिर पड़ा.
गिरते ही गाँव का मरियल कुत्ता शेरू अपने जबड़े में दबाकर रफ्फूचक्कर हो गया.
फूफाजी और जीजाजी हाथ मलते रह गये.
इसके बाद दोनो दूध के बर्तन के आस-पास देखे गये...
...कि कब दूध फटे और कब....
;-)
thanks to :-
सन्नि कुमार तिवारी
Labels:
BEST STORIES
Mar 26, 2013
स्वामी विवेकानंद अमेरिका में भ्रमण कर रहे ......
लक्ष्य पर ध्यान लगाओ
स्वामी विवेकानंद अमेरिका में भ्रमण कर रहे थे . एक जगह से गुजरते हुए उन्होंने पुल पर खड़े कुछ लड़कों को नदी में तैर रहे अंडे के छिलकों पर बन्दूक से निशाना लगाते देखा . किसी भी लड़के का एक भी निशाना सही नहीं लग रहा था . तब उन्होंने ने एक लड़के से बन्दूक ली और खुद निशाना लगाने लगे . उन्होंने पहला निशाना लगाया और वो बिलकुल सही लगा ….. फिर एक के बाद एक उन्होंने कुल 12 निशाने लगाये और सभी बिलकुल सटीक लगे . ये देख लड़के दंग रह गए और उनसे पुछा , ” भला आप ये कैसे कर लेते हैं ?”
स्वामी जी बोले , “तुम जो भी कर रहे हो अपना पूरा दिमाग उसी एक काम में लगाओ. अगर तुम निशाना लगा रहे हो तो तम्हारा पूरा ध्यान सिर्फ अपने लक्ष्य पर होना चाहिए. तब तुम कभी चूकोगे नहीं . अगर तुम अपना पाठ पढ़ रहे हो तो सिर्फ पाठ के बारे में सोचो . मेरे देश में बच्चों को ये करना सिखाया जाता है. ”
—————————————
डर का सामना
एक बार बनारस में स्वामी जी दुर्गा जी के मंदिर से निकल रहे थे की तभी वहां मौजूद बहुत सारे बंदरों ने उन्हें घेर लिया. वे उनके नज़दीक आने लगे और डराने लगे . स्वामी जी भयभीत हो गए और खुद को बचाने के लिए दौड़ कर भागने लगे, पर बन्दर तो मानो पीछे ही पड़ गए, और वे उन्हें दौडाने लगे. पास खड़ा एक वृद्ध सन्यासी ये सब देख रहा था , उसने स्वामी जी को रोका और बोला , ” रुको ! उनका सामना करो !”
स्वामी जी तुरन्त पलटे और बंदरों के तरफ बढ़ने लगे , ऐसा करते ही सभी बन्दर भाग गए . इस घटना से स्वामी जी को एक गंभीर सीख मिली और कई सालों बाद उन्होंने एक संबोधन में कहा भी – ” यदि तुम कभी किसी चीज से भयभीत हो तो उससे भागो मत , पलटो और सामना करो.”
———————————————–
सच बोलने की हिम्मत
स्वामी विवेकानंदा प्रारंभ से ही एक मेधावी छात्र थे और सभी उनके व्यक्तित्व और वाणी से प्रभावित रहते थे. जब वो साथी छात्रों से कुछ बताते तो सब मंत्रमुग्ध हो उन्हें सुनते. एक दिन इंटरवल के दौरान वो कक्षा में कुछ मित्रों को कहानी सुना रहे थे , सभी उनकी बातें सुनने में इतने मग्न थे की उन्हें पता ही नहीं चला की कब मास्टर जी कक्षा में आये और पढ़ाना शुरू कर दिया.
मास्टर जी ने अभी पढ़ना शुरू ही किया था कि उन्हें कुछ फुसफुसाहट सुनाई दी.
” कौन बात कर रहा है ?” उन्होंने तेज आवाज़ में पूछा . सभी ने स्वामी जी और उनके साथ बैठे छात्रों किई तरफ इशारा कर दिया.
मास्टर जी तुरंत क्रोधित हो गए, उन्होंने तुरंत उन छात्रों को बुलाया और पाठ से संबधित एक प्रश्न पूछने लगे. जब कोई भी उत्तर न दे सका ,तब अंत में मास्टर जी ने स्वामी जी से भी वही प्रश्न किया . पर स्वामी जी तो मानो सब कुछ पहले से ही जानते हों , उन्होंने आसानी से उत्तर दे दिया.
यह देख उन्हें यकीन हो गया कि स्वामी जी पाठ पर ध्यान दे रहे थे और बाकी छात्र बात-चीत में लगे हुए थे. फिर क्या था उन्होंने स्वामी जी को छोड़ सभी को बेंच पर खड़े होने की सजा दे दी . सभी छात्र एक -एक कर बेच पर खड़े होने लगे, स्वामी जे ने भी यही किया.
तब मास्टर जी बोले, ” नरेन्द्र (स्वामी विवेकानंद )) तुम बैठ जाओ.”
” नहीं सर , मुझे भी खड़ा होना होगा क्योंकि वो मैं ही था जो इन छात्रों से बात कर रहा था.”,स्वामी जी ने आग्रह किया.
स्वामी विवेकानंद अमेरिका में भ्रमण कर रहे थे . एक जगह से गुजरते हुए उन्होंने पुल पर खड़े कुछ लड़कों को नदी में तैर रहे अंडे के छिलकों पर बन्दूक से निशाना लगाते देखा . किसी भी लड़के का एक भी निशाना सही नहीं लग रहा था . तब उन्होंने ने एक लड़के से बन्दूक ली और खुद निशाना लगाने लगे . उन्होंने पहला निशाना लगाया और वो बिलकुल सही लगा ….. फिर एक के बाद एक उन्होंने कुल 12 निशाने लगाये और सभी बिलकुल सटीक लगे . ये देख लड़के दंग रह गए और उनसे पुछा , ” भला आप ये कैसे कर लेते हैं ?”
स्वामी जी बोले , “तुम जो भी कर रहे हो अपना पूरा दिमाग उसी एक काम में लगाओ. अगर तुम निशाना लगा रहे हो तो तम्हारा पूरा ध्यान सिर्फ अपने लक्ष्य पर होना चाहिए. तब तुम कभी चूकोगे नहीं . अगर तुम अपना पाठ पढ़ रहे हो तो सिर्फ पाठ के बारे में सोचो . मेरे देश में बच्चों को ये करना सिखाया जाता है. ”
—————————————
डर का सामना
एक बार बनारस में स्वामी जी दुर्गा जी के मंदिर से निकल रहे थे की तभी वहां मौजूद बहुत सारे बंदरों ने उन्हें घेर लिया. वे उनके नज़दीक आने लगे और डराने लगे . स्वामी जी भयभीत हो गए और खुद को बचाने के लिए दौड़ कर भागने लगे, पर बन्दर तो मानो पीछे ही पड़ गए, और वे उन्हें दौडाने लगे. पास खड़ा एक वृद्ध सन्यासी ये सब देख रहा था , उसने स्वामी जी को रोका और बोला , ” रुको ! उनका सामना करो !”
स्वामी जी तुरन्त पलटे और बंदरों के तरफ बढ़ने लगे , ऐसा करते ही सभी बन्दर भाग गए . इस घटना से स्वामी जी को एक गंभीर सीख मिली और कई सालों बाद उन्होंने एक संबोधन में कहा भी – ” यदि तुम कभी किसी चीज से भयभीत हो तो उससे भागो मत , पलटो और सामना करो.”
———————————————–
सच बोलने की हिम्मत
स्वामी विवेकानंदा प्रारंभ से ही एक मेधावी छात्र थे और सभी उनके व्यक्तित्व और वाणी से प्रभावित रहते थे. जब वो साथी छात्रों से कुछ बताते तो सब मंत्रमुग्ध हो उन्हें सुनते. एक दिन इंटरवल के दौरान वो कक्षा में कुछ मित्रों को कहानी सुना रहे थे , सभी उनकी बातें सुनने में इतने मग्न थे की उन्हें पता ही नहीं चला की कब मास्टर जी कक्षा में आये और पढ़ाना शुरू कर दिया.
मास्टर जी ने अभी पढ़ना शुरू ही किया था कि उन्हें कुछ फुसफुसाहट सुनाई दी.
” कौन बात कर रहा है ?” उन्होंने तेज आवाज़ में पूछा . सभी ने स्वामी जी और उनके साथ बैठे छात्रों किई तरफ इशारा कर दिया.
मास्टर जी तुरंत क्रोधित हो गए, उन्होंने तुरंत उन छात्रों को बुलाया और पाठ से संबधित एक प्रश्न पूछने लगे. जब कोई भी उत्तर न दे सका ,तब अंत में मास्टर जी ने स्वामी जी से भी वही प्रश्न किया . पर स्वामी जी तो मानो सब कुछ पहले से ही जानते हों , उन्होंने आसानी से उत्तर दे दिया.
यह देख उन्हें यकीन हो गया कि स्वामी जी पाठ पर ध्यान दे रहे थे और बाकी छात्र बात-चीत में लगे हुए थे. फिर क्या था उन्होंने स्वामी जी को छोड़ सभी को बेंच पर खड़े होने की सजा दे दी . सभी छात्र एक -एक कर बेच पर खड़े होने लगे, स्वामी जे ने भी यही किया.
तब मास्टर जी बोले, ” नरेन्द्र (स्वामी विवेकानंद )) तुम बैठ जाओ.”
” नहीं सर , मुझे भी खड़ा होना होगा क्योंकि वो मैं ही था जो इन छात्रों से बात कर रहा था.”,स्वामी जी ने आग्रह किया.
Labels:
BEST STORIES,
inspiral
Mar 25, 2013
पिताजी कोई किताब पढने में व्यस्त थे , पर उनका बेटा बार-बार
पिताजी कोई किताब पढने में व्यस्त थे , पर उनका बेटा बार-बार आता और उल्टे-सीधे सवाल पूछ कर उन्हें डिस्टर्ब कर देता .
पिता के समझाने और डांटने का भी उस पर कोई असर नहीं पड़ता.
तब उन्होंने सोचा कि अगर बच्चे को किसी और काम में उलझा दिया जाए तो बात बन सकती है. उन्होंने पास ही पड़ी एक पुरानी किताब उठाई और उसके पन्ने पलटने लगे. तभी उन्हें विश्व मानचित्र छपा दिखा , उन्होंने तेजी से वो पेज फाड़ा और बच्चे को बुलाया – ” देखो ये वर्ल्ड मैप है , अब मैं इसे कई पार्ट्स में कट कर देता हूँ , तुम्हे इन टुकड़ों को फिर से जोड़ कर वर्ल्ड मैप तैयार करना होगा.”
और ऐसा कहते हुए उन्होंने ये काम बेटे को दे दिया.
बेटा तुरंत मैप बनाने में लग गया और पिता यह सोच कर खुश होने लगे की अब वो आराम से दो-तीन घंटे किताब पढ़ सकेंगे .
लेकिन ये क्या, अभी पांच मिनट ही बीते थे कि बेटा दौड़ता हुआ आया और बोला , ” ये देखिये पिताजी मैंने मैप तैयार कर लिया है .”
पिता ने आश्चर्य से देखा , मैप बिलकुल सही था, – ” तुमने इतनी जल्दी मैप कैसे जोड़ दिया , ये तो बहुत मुश्किल काम था ?”
” कहाँ पापा, ये तो बिलकुल आसान था , आपने जो पेज दिया था उसके पिछले हिस्से में एक कार्टून बना था , मैंने बस वो कार्टून कम्प्लीट कर दिया और मैप अपने आप ही तैयार हो गया.”, और ऐसा कहते हुए वो बाहर खेलने के लिए भाग गया और पिताजी सोचते रह गए .
Friends , कई बार life की problems भी ऐसी ही होती हैं, सामने से देखने पर वो बड़ी भारी-भरकम लगती हैं , मानो उनसे पार पान असंभव ही हो , लेकिन जब हम उनका दूसरा पहलु देखते हैं तो वही problems आसान बन जाती हैं, इसलिए जब कभी आपके सामने कोई समस्या आये तो उसे सिर्फ एक नजरिये से देखने की बजाये अलग-अलग दृष्टिकोण से देखिये , क्या पता वो बिलकुल आसान बन जाएं !
पिता के समझाने और डांटने का भी उस पर कोई असर नहीं पड़ता.
तब उन्होंने सोचा कि अगर बच्चे को किसी और काम में उलझा दिया जाए तो बात बन सकती है. उन्होंने पास ही पड़ी एक पुरानी किताब उठाई और उसके पन्ने पलटने लगे. तभी उन्हें विश्व मानचित्र छपा दिखा , उन्होंने तेजी से वो पेज फाड़ा और बच्चे को बुलाया – ” देखो ये वर्ल्ड मैप है , अब मैं इसे कई पार्ट्स में कट कर देता हूँ , तुम्हे इन टुकड़ों को फिर से जोड़ कर वर्ल्ड मैप तैयार करना होगा.”
और ऐसा कहते हुए उन्होंने ये काम बेटे को दे दिया.
बेटा तुरंत मैप बनाने में लग गया और पिता यह सोच कर खुश होने लगे की अब वो आराम से दो-तीन घंटे किताब पढ़ सकेंगे .
लेकिन ये क्या, अभी पांच मिनट ही बीते थे कि बेटा दौड़ता हुआ आया और बोला , ” ये देखिये पिताजी मैंने मैप तैयार कर लिया है .”
पिता ने आश्चर्य से देखा , मैप बिलकुल सही था, – ” तुमने इतनी जल्दी मैप कैसे जोड़ दिया , ये तो बहुत मुश्किल काम था ?”
” कहाँ पापा, ये तो बिलकुल आसान था , आपने जो पेज दिया था उसके पिछले हिस्से में एक कार्टून बना था , मैंने बस वो कार्टून कम्प्लीट कर दिया और मैप अपने आप ही तैयार हो गया.”, और ऐसा कहते हुए वो बाहर खेलने के लिए भाग गया और पिताजी सोचते रह गए .
Friends , कई बार life की problems भी ऐसी ही होती हैं, सामने से देखने पर वो बड़ी भारी-भरकम लगती हैं , मानो उनसे पार पान असंभव ही हो , लेकिन जब हम उनका दूसरा पहलु देखते हैं तो वही problems आसान बन जाती हैं, इसलिए जब कभी आपके सामने कोई समस्या आये तो उसे सिर्फ एक नजरिये से देखने की बजाये अलग-अलग दृष्टिकोण से देखिये , क्या पता वो बिलकुल आसान बन जाएं !
Labels:
BEST STORIES
Mar 24, 2013
एक 8 साल के एक लडके की माँ मर जाती है..!
एक 8 साल के एक लडके की माँ मर जाती है..!
एक दिन एक आदमी ने उस लडके से पुछा कि,
बेटा, तुझे अपनी नई माँ और अपनी मरी हुई माँ मेँ
क्या फर्क लगा..?
...
तो वह लडका बोला : मेरी नई माँ सच्ची है और
मरी हुई माँ झुठी थी..!!
यह सुनकर वह आदमी अचरज मेँ पड गया,
फिर बोला : क्यु बेटा तुझे ऐसा लगता है..?
जिसने तुझे अपनी कोख से जन्म दिया वह
झुठी और कल तक आई हुई माँ सच्ची क्यु
लगती है..?
तो लडका बोला : जब मैँ मस्ती करता था तब
मेरी माँ कहती थी कि "अगर तु इस
तरह करेगा तो तुझे खाना नही दुगीँ" फिर भी मैँ
बहुत मस्ती करता रहता था.
और मुझे पुरे गाँव मेँ से ढुढँ कर घर लाती और
अपने पास बिठाकर अपने
हाथो से खाना खिलाती थी..!!
और यह नई माँ कहती है कि "अगर तु
मस्ती करेगा तो तुझे खाना नही दुँगी और सच मेँ वह
मुझे आज तीन दिन से खाना नही दिया.
Labels:
BEST STORIES
Mar 16, 2013
जब हवा चलती है तो मैं सोता हूँ...
बहुत समय पहले की बात है, आइस्लैंड के उत्तरी छोर पर एक
किसान रहता था. उसे अपने खेत में काम करने
वालों की बड़ी ज़रुरत रहती थी लेकिन ऐसी खतरनाक
जगह, जहाँ आये दिन आंधी–तूफ़ान आते रहते हों , कोई काम
... करने को तैयार नहीं होता था.
किसान ने एक दिन शहर के अखबार में इश्तहार
दिया कि उसे खेत में काम करने वाले एक मजदूर की ज़रुरत
है. किसान से मिलने कई लोग आये लेकिन जो भी उस जगह के
बारे में सुनता, वो काम करने से मन कर देता. अंततः एक
सामान्य कद का पतला -दुबला अधेड़ व्यक्ति किसान के
पास पहुंचा.
किसान ने उससे पूछा , “ क्या तुम इन परिस्थितयों में काम
कर सकते हो ?”
“ ह्म्म्म, बस जब हवा चलती है तब मैं सोता हूँ .” व्यक्ति ने
उत्तर दिया .
किसान को उसका उत्तर थोडा अजीब लगा लेकिन
चूँकि उसे कोई और काम करने वाला नहीं मिल
रहा था इसलिए उसने व्यक्ति को काम पर रख लिया.
मजदूर मेहनती निकला, वह सुबह से शाम तक खेतों में मेहनत
करता, किसान भी उससे काफी संतुष्ट था. कुछ ही दिन
बीते थे कि एक रात अचानक ही जोर-जोर से हवा बहने
लगी, किसान अपने अनुभव से समझ गया कि अब तूफ़ान आने
वाला है. वह तेजी से उठा, हाथ में लालटेन ली और मजदूर के
झोपड़े की तरफ दौड़ा.
“ जल्दी उठो, देखते नहीं तूफ़ान आने वाला है, इससे पहले
की सबकुछ तबाह हो जाए कटी फसलों को बाँध कर ढक
दो और बाड़े के गेट को भी रस्सियों से कस दो.” किसान
चीखा .
मजदूर बड़े आराम से पलटा और बोला, “ नहीं जनाब, मैंने
आपसे पहले ही कहा था कि जब हवा चलती है तो मैं
सोता हूँ !!!.”
यह सुन किसान का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया,
जी में आया कि उस मजदूर को गोली मार दे, पर
अभी वो आने वाले तूफ़ान से चीजों को बचाने के लिए भागा.
किसान खेत में पहुंचा और उसकी आँखें आश्चर्य से खुली रह
गयी, फसल की गांठें अच्छे से बंधी हुई थीं और तिरपाल से
ढकी भी थी, उसके गाय -बैल सुरक्षित बंधे हुए थे और
मुर्गियां भी अपने दडबों में थीं … बाड़े
का दरवाज़ा भी मजबूती से बंधा हुआ था. सारी चीजें
बिलकुल व्यवस्थित थी …नुक्सान होने की कोई
संभावना नहीं बची थी. किसान अब मजदूर की ये बात
कि “जब हवा चलती है तब मैं सोता हूँ ”…समझ चुका था,
और अब वो भी चैन से सो सकता था .
मित्रों , हमारी ज़िन्दगी में भी कुछ ऐसे तूफ़ान आने तय हैं,
ज़रुरत इस बात की है कि हम उस मजदूर की तरह पहले से
तैयारी करके रखें ताकि मुसीबत आने पर हम भी चैन से
सो सकें. जैसे कि यदि कोई विद्यार्थी शुरू से पढ़ाई करे
तो परीक्षा के समय वह आराम से रह सकता है, हर महीने
बचत करने वाला व्यक्ति पैसे की ज़रुरत पड़ने पर निश्चिंत
रह सकता है, इत्यादि.
तो चलिए हम भी कुछ ऐसा करें कि कह सकें –
"जब हवा चलती है तो मैं सोता हू"
Labels:
BEST STORIES,
inspiral
Mar 9, 2013
मेरी गुड़िया को अपने सपने पूरे करने दीजिये .....
गुड़िया दुखी थी। पास मे बैठी माँ भी चुप। बबलू ना जाने क्या सोच रहा था।
अभी-अभी पिताजी फरमान जो सुना गए थे की गुड़िया ने दसवीं कर ली है, आगे पढ़ने की जरूरत नहीं। “हमने कौन सा बेटी से नौकरी करवानी है ? देखा नहीं है आज-कल की पढ़ी-लिखी मेमों को। बस गिटर –पिटर अँग्रेजी बोली और आता- जाता कुछ नहीं। ये घर बसाती नहीं, बर्बाद करती है !! एक तो इनकी पढ़ाई-लिखाई पर पैसे लगाओ ऊपर से हमे ही ज्ञान देंगी। पैसे कोई पेड़ पर उगते है ? बस, अब गुड़िया की शादी कर देंगे, अच्छा लड़का देखकर।“
वैसे, बबलू का मोटरसाइकल का टेंडर पास हो गया था। “यही बुढ़ापे का सहारा है। आज इसको देखेंगे, कल ये हमे संभालेगा।“
बबलू की प्यारी बहन थी गुड़िया। और अच्छी तरह समझता था की पिताजी गलत कर रहे है।
... शाम को पिताजी से वह बोला,’ आप गुड़िया को पढ़ाइए, मुझे मोटरसाइकल नहीं चाहिए। पापा, कुछ लड़के भी पढ़-लिख कर गधे ही रहते है। इसमे पढ़ाई का दोष नहीं है। क्यूंकी परिवार, समाज, देश या विश्व मे अगर कोई जागृति और उन्नति हुई है तो वो पढे-लिखों की वजह से। और वैसे भी शिक्षा गुड़िया का अधिकार है। अगर आप, जन्मदाता हो कर उसके अधिकारों का सम्मान नहीं करेंगे तो दूसरे घरवालों से क्या अपेक्षा !! एक पढ़ी-लिखी लड़की परिवार की एक पूरी पीढ़ी को शिक्षा दे प्रग्रतिशील बना सकती है। अपने स्वाभिमान के लिए खड़ी हो सकती है और जरूरत पड़े तो आत्मनिर्भर भी हो सकती है। मेरी गुड़िया को अपने सपने पूरे करने दीजिये ..... में उसके टूटे सपनों पर मोटरसाइकल नहीं चला सकता।‘
पिताजी की स्वीकृति मे मुस्कान भी थी और गर्व भी। गुड़िया और माँ की आँखों मे वो अच्छे वाले आँसू।
अभी-अभी पिताजी फरमान जो सुना गए थे की गुड़िया ने दसवीं कर ली है, आगे पढ़ने की जरूरत नहीं। “हमने कौन सा बेटी से नौकरी करवानी है ? देखा नहीं है आज-कल की पढ़ी-लिखी मेमों को। बस गिटर –पिटर अँग्रेजी बोली और आता- जाता कुछ नहीं। ये घर बसाती नहीं, बर्बाद करती है !! एक तो इनकी पढ़ाई-लिखाई पर पैसे लगाओ ऊपर से हमे ही ज्ञान देंगी। पैसे कोई पेड़ पर उगते है ? बस, अब गुड़िया की शादी कर देंगे, अच्छा लड़का देखकर।“
वैसे, बबलू का मोटरसाइकल का टेंडर पास हो गया था। “यही बुढ़ापे का सहारा है। आज इसको देखेंगे, कल ये हमे संभालेगा।“
बबलू की प्यारी बहन थी गुड़िया। और अच्छी तरह समझता था की पिताजी गलत कर रहे है।
... शाम को पिताजी से वह बोला,’ आप गुड़िया को पढ़ाइए, मुझे मोटरसाइकल नहीं चाहिए। पापा, कुछ लड़के भी पढ़-लिख कर गधे ही रहते है। इसमे पढ़ाई का दोष नहीं है। क्यूंकी परिवार, समाज, देश या विश्व मे अगर कोई जागृति और उन्नति हुई है तो वो पढे-लिखों की वजह से। और वैसे भी शिक्षा गुड़िया का अधिकार है। अगर आप, जन्मदाता हो कर उसके अधिकारों का सम्मान नहीं करेंगे तो दूसरे घरवालों से क्या अपेक्षा !! एक पढ़ी-लिखी लड़की परिवार की एक पूरी पीढ़ी को शिक्षा दे प्रग्रतिशील बना सकती है। अपने स्वाभिमान के लिए खड़ी हो सकती है और जरूरत पड़े तो आत्मनिर्भर भी हो सकती है। मेरी गुड़िया को अपने सपने पूरे करने दीजिये ..... में उसके टूटे सपनों पर मोटरसाइकल नहीं चला सकता।‘
पिताजी की स्वीकृति मे मुस्कान भी थी और गर्व भी। गुड़िया और माँ की आँखों मे वो अच्छे वाले आँसू।
Labels:
BEST STORIES,
inspiral
पिता का आशीर्वाद
एक बार एक युवक अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने वाला था। उसकी बहुत दिनों से एक शोरूम में रखी स्पोर्टस कार लेने की इच्छा थी। उसने अपने पिता से कॉलेज की पढ़ाई पूरी होने पर उपहारस्वरूप वह कार लेने की बात कही क्योंकि वह जानता था कि उसके पिता उसकी इच्छा पूरी करने में समर्थ हैं। कॉलेज के आखिरी दिन उसके पिता ने उसे अपने कमरे में बुलाया और कहा कि वे उसे बहुत प्यार करते हैं तथा उन्हें उस पर गर्व है। फिर उन्होंने उसे एक सुंदर कागज़ में लिपटा उपहार दिया । उत्सुकतापूर्वक जब युवक ने उस कागज़ को खोला तो उसे उसमें एक आकर्षक जिल्द वाली ‘भगवद् गीता’ मिली जिसपर उसका नाम भी सुनहरे अक्षरों में लिखा था। यह देखकर वह युवक आगबबूला हो उठा और अपने पिता से बोला कि इतना पैसा होने पर भी उन्होंने उसे केवल एक ‘भगवद् गीता’ दी। यह कहकर वह गुस्से से गीता वहीं पटककर घर छोड़कर निकल गया।
बहुत वर्ष बीत गए और वह युवक एक सफल व्यवसायी बन गया। उसके पास बहुत धन-दौलत और भरापूरा परिवार था। एक दिन उसने सोचा कि उसके पिता तो अब काफी वृद्ध हो गए होंगे। उसने ...अपने पिता से मिलने जाने का निश्चय किया क्योंकि उस दिन के बाद से वह उनसे मिलने कभी नहीं गया था। अभी वह अपने पिता से मिलने जाने की तैयारी कर ही रहा था कि अचानक उसे एक तार मिला जिसमें लिखा था कि उसके पिता की मृत्यु हो गई है और वे अपनी सारी संपत्ति उसके नाम कर गए हैं। उसे तुरंत वहाँ बुलाया गया था जिससे वह सारी संपत्ति संभाल सके।
वह उदासी और पश्चाताप की भावना से भरकर अपने पिता के घर पहुँचा। उसे अपने पिता की महत्वपूर्ण फाइलों में वह ‘भगवद् गीता’ भी मिली जिसे वह वर्षों पहले छोड़कर गया था। उसने भरी आँखों से उसके पन्ने पलटने शुरू किए। तभी उसमें से एक कार की चाबी नीचे गिरी जिसके साथ एक बिल भी था। उस बिल पर उसी शोरूम का नाम लिखा था जिसमें उसने वह स्पोर्टस कार पसंद की थी तथा उस पर उसके घर छोड़कर जाने से पिछले दिन की तिथि भी लिखी थी। उस बिल में लिखा था कि पूरा भुगतान कर दिया गया है।
कई बार हम भगवान की आशीषों और अपनी प्रार्थनाओं के उत्तरों को अनदेखा कर जाते हैं क्योंकि वे उस रूप में हमें प्राप्त नहीं होते जिस रूप में हम उनकी आशा करते हैं।
बहुत वर्ष बीत गए और वह युवक एक सफल व्यवसायी बन गया। उसके पास बहुत धन-दौलत और भरापूरा परिवार था। एक दिन उसने सोचा कि उसके पिता तो अब काफी वृद्ध हो गए होंगे। उसने ...अपने पिता से मिलने जाने का निश्चय किया क्योंकि उस दिन के बाद से वह उनसे मिलने कभी नहीं गया था। अभी वह अपने पिता से मिलने जाने की तैयारी कर ही रहा था कि अचानक उसे एक तार मिला जिसमें लिखा था कि उसके पिता की मृत्यु हो गई है और वे अपनी सारी संपत्ति उसके नाम कर गए हैं। उसे तुरंत वहाँ बुलाया गया था जिससे वह सारी संपत्ति संभाल सके।
वह उदासी और पश्चाताप की भावना से भरकर अपने पिता के घर पहुँचा। उसे अपने पिता की महत्वपूर्ण फाइलों में वह ‘भगवद् गीता’ भी मिली जिसे वह वर्षों पहले छोड़कर गया था। उसने भरी आँखों से उसके पन्ने पलटने शुरू किए। तभी उसमें से एक कार की चाबी नीचे गिरी जिसके साथ एक बिल भी था। उस बिल पर उसी शोरूम का नाम लिखा था जिसमें उसने वह स्पोर्टस कार पसंद की थी तथा उस पर उसके घर छोड़कर जाने से पिछले दिन की तिथि भी लिखी थी। उस बिल में लिखा था कि पूरा भुगतान कर दिया गया है।
कई बार हम भगवान की आशीषों और अपनी प्रार्थनाओं के उत्तरों को अनदेखा कर जाते हैं क्योंकि वे उस रूप में हमें प्राप्त नहीं होते जिस रूप में हम उनकी आशा करते हैं।
Labels:
BEST STORIES,
inspiral
Mar 7, 2013
महाभारत युद्ध के अट्ठारहवें दिनदुर्योधन मारा गया और युद्ध की समाप्ति हुई
महाभारत युद्ध के अट्ठारहवें दिनदुर्योधन मारा गया और युद्ध की समाप्ति हुई
तो श्रीकृष्ण, अर्जुन को उस के रथ से
नीचे उतर जाने के लिए कहते हैं। जब
अर्जुन उतर जाता है तो वे उसे कुछ
दूरी पर ले जाते हैं। तब वे
हनुमानजी को रथ के ध्वज से उतर आने
का संकेत करते हैं। जैसे ही श्री हनुमान
उस रथ से उतरते हैं, अर्जुन के रथ के
अश्व जीवित ही जल जाते हैं और रथ में
विस्फोट हो जाता है। यह देखकर
... अर्जुन दहल उठता है। तब श्रीकृष्ण
उसे बताते हैं कि पितामह भीष्म,
गुरुद्रोण, कर्ण, और अश्वत्थामा के
घातक अस्त्रों के कारण अर्जुन के रथ
में यह विस्फोट हुआ है। यह अब तक
इसलिए सुरक्षित था क्योंकि उस पर
स्वयं उनकी कृपा थी और श्री हनुमान
की शक्ति थी जो रथ अब तक इन
विनाशकारी अस्त्रों के प्रभाव कोसहन
किए हुए था।
तो श्रीकृष्ण, अर्जुन को उस के रथ से
नीचे उतर जाने के लिए कहते हैं। जब
अर्जुन उतर जाता है तो वे उसे कुछ
दूरी पर ले जाते हैं। तब वे
हनुमानजी को रथ के ध्वज से उतर आने
का संकेत करते हैं। जैसे ही श्री हनुमान
उस रथ से उतरते हैं, अर्जुन के रथ के
अश्व जीवित ही जल जाते हैं और रथ में
विस्फोट हो जाता है। यह देखकर
... अर्जुन दहल उठता है। तब श्रीकृष्ण
उसे बताते हैं कि पितामह भीष्म,
गुरुद्रोण, कर्ण, और अश्वत्थामा के
घातक अस्त्रों के कारण अर्जुन के रथ
में यह विस्फोट हुआ है। यह अब तक
इसलिए सुरक्षित था क्योंकि उस पर
स्वयं उनकी कृपा थी और श्री हनुमान
की शक्ति थी जो रथ अब तक इन
विनाशकारी अस्त्रों के प्रभाव कोसहन
किए हुए था।
Labels:
BEST STORIES
Mar 2, 2013
महाराज ! मैं पाप बेचती हूँ | ...........
एक बार घूमते-घूमते कालिदास बाजार गये | वहाँ एक महिला बैठी मिली | उसके पास एक मटका था और कुछ प्यालियाँ पड़ी थी | कालिदास ने उस महिला से पूछा : ” क्या बेच रही हो ? “
महिला ने जवाब दिया : ” महाराज ! मैं पाप बेचती हूँ | “
कालिदास ने आश्चर्यचकित होकर पूछा : ” पाप और मटके में ? “
महिला बोली : ” हाँ , महाराज ! मटके में पाप है | “
... कालिदास : ” कौन-सा पाप है ? “
महिला : ” आठ पाप इस मटके में है | मैं चिल्लाकर कहती हूँ की मैं पाप बेचती हूँ पाप … और लोग पैसे देकर पाप ले जाते है |”
अब महाकवि कालिदास को और आश्चर्य हुआ : ” पैसे देकर लोग पाप ले जाते है ? “
महिला : ” हाँ , महाराज ! पैसे से खरीदकर लोग पाप ले जाते है | “
कालिदास : ” इस मटके में आठ पाप कौन-कौन से है ? “
महिला : ” क्रोध ,बुद्धिनाश , यश का नाश , स्त्री एवं बच्चों के साथ अत्याचार और अन्याय , चोरी , असत्य आदि दुराचार , पुण्य का नाश , और स्वास्थ्य का नाश … ऐसे आठ प्रकार के पाप इस घड़े में है | “
कालिदास को कौतुहल हुआ की यह तो बड़ी विचित्र बात है | किसी भी शास्त्र में नहीं आया है की मटके में आठ प्रकार के पाप होते है | वे बोले : ” आखिरकार इसमें क्या है ? ”
महिला : ” महाराज ! इसमें शराब है शराब ! “
कालिदास महिला की कुशलता पर प्रसन्न होकर बोले : ” तुझे धन्यवाद है ! शराब में आठ प्रकार के पाप है यह तू जानती है और ‘ मैं पाप बेचती हूँ ‘ ऐसा कहकर बेचती है फिर भी लोग ले जाते है | धिक्कार है ऐसे लोगों को !
महिला ने जवाब दिया : ” महाराज ! मैं पाप बेचती हूँ | “
कालिदास ने आश्चर्यचकित होकर पूछा : ” पाप और मटके में ? “
महिला बोली : ” हाँ , महाराज ! मटके में पाप है | “
... कालिदास : ” कौन-सा पाप है ? “
महिला : ” आठ पाप इस मटके में है | मैं चिल्लाकर कहती हूँ की मैं पाप बेचती हूँ पाप … और लोग पैसे देकर पाप ले जाते है |”
अब महाकवि कालिदास को और आश्चर्य हुआ : ” पैसे देकर लोग पाप ले जाते है ? “
महिला : ” हाँ , महाराज ! पैसे से खरीदकर लोग पाप ले जाते है | “
कालिदास : ” इस मटके में आठ पाप कौन-कौन से है ? “
महिला : ” क्रोध ,बुद्धिनाश , यश का नाश , स्त्री एवं बच्चों के साथ अत्याचार और अन्याय , चोरी , असत्य आदि दुराचार , पुण्य का नाश , और स्वास्थ्य का नाश … ऐसे आठ प्रकार के पाप इस घड़े में है | “
कालिदास को कौतुहल हुआ की यह तो बड़ी विचित्र बात है | किसी भी शास्त्र में नहीं आया है की मटके में आठ प्रकार के पाप होते है | वे बोले : ” आखिरकार इसमें क्या है ? ”
महिला : ” महाराज ! इसमें शराब है शराब ! “
कालिदास महिला की कुशलता पर प्रसन्न होकर बोले : ” तुझे धन्यवाद है ! शराब में आठ प्रकार के पाप है यह तू जानती है और ‘ मैं पाप बेचती हूँ ‘ ऐसा कहकर बेचती है फिर भी लोग ले जाते है | धिक्कार है ऐसे लोगों को !
Labels:
BEST STORIES
महात्मा को एक बार रास्ते में पड़ा धन मिल गया।....
महात्मा को एक बार रास्ते में पड़ा धन मिल गया। उन्होंने निश्चय किया कि वे इस सबसे गरीब आदमी को दान कर देंगे। निर्धन आदमी की तलाश में वे खूब घूमे। उन्हें कोई सुपात्र नहीं मिला। एक दिन उन्होंने देखा राजमार्ग पर राजा के साथ अस्त्र-शस्त्रों से सजी विशाल सेना चली आ रही है। राजा महात्मा को पहचानता था।
हाथी से उतरकर उसने महात्मा को प्रणाम किया। महात्मा ने अपनी झोली से धन निकाला और राजा को थमा दिया। राजा ने विनीत स्वर में कहा महाराज! यह क्या? आपके आशीर्वाद से मेरे खजाने में हीरे-जवाहरात का भंडार है। महात्मा ने उत्तर दिया राजन! मैं गरीब आदमी की तलाश में था। तुम सबसे गरीब हो। यदि तुम्हारे खजाने में धन का अंबार है तो सेना लेकर कहां जा रहे हो? अगर तुम्हें किसी बात की कमी नहीं तो यह सब किसलिए? राज्य का विस्तार और धन के लिए। महात्मा की बातों ने असर किया। राजा ने तत्काल अपनी सेना को लौटने का आदेश दिया। वह ऐसे जा रहा था मानो में अनमोल खजाना जीतकर लौट रहा हो।
हाथी से उतरकर उसने महात्मा को प्रणाम किया। महात्मा ने अपनी झोली से धन निकाला और राजा को थमा दिया। राजा ने विनीत स्वर में कहा महाराज! यह क्या? आपके आशीर्वाद से मेरे खजाने में हीरे-जवाहरात का भंडार है। महात्मा ने उत्तर दिया राजन! मैं गरीब आदमी की तलाश में था। तुम सबसे गरीब हो। यदि तुम्हारे खजाने में धन का अंबार है तो सेना लेकर कहां जा रहे हो? अगर तुम्हें किसी बात की कमी नहीं तो यह सब किसलिए? राज्य का विस्तार और धन के लिए। महात्मा की बातों ने असर किया। राजा ने तत्काल अपनी सेना को लौटने का आदेश दिया। वह ऐसे जा रहा था मानो में अनमोल खजाना जीतकर लौट रहा हो।
Labels:
BEST STORIES,
inspiral
Mar 1, 2013
साहब यह गाँव का बैल है कोई शहरी दफ्तर का बाबू नही ...
एक काँलेज के प्रोफेसर साहब गाँव घूमने गये ।
वहां उन्होने देखा कि कोल्हू से बधा
बैल चक्कर काटे जा रहा है
और पास ही पडा उसका मालिक
सो रहा है
... उसने कोल्हू के मालिक ग्रांमीण को उठाकर
पूछा ,
तुम तो सो रहे हो,
तुम्हे कैसे पता चलेगा कि बैल चलते चलते रूक
तो नही गया ?
ग्रामीण ने बताया उसके गले मे घंटिया बंधी है।
जब रूकेगा तो घंटियो की आवाज आनी बंद
हो जायेगी
और मुझे पता चल जायेगा ।।
प्रोफेसर साहब ने फिर पूछा ,
मान लो वह एक स्थान पर खडे खडे ही गर्दन
हिलाता रहे तो ?
ग्रामीण ने समझाया ,
साहब यह गाँव का बैल है
कोई शहरी दफ्तर का बाबू नही ।।
बात समझो.....
वहां उन्होने देखा कि कोल्हू से बधा
बैल चक्कर काटे जा रहा है
और पास ही पडा उसका मालिक
सो रहा है
... उसने कोल्हू के मालिक ग्रांमीण को उठाकर
पूछा ,
तुम तो सो रहे हो,
तुम्हे कैसे पता चलेगा कि बैल चलते चलते रूक
तो नही गया ?
ग्रामीण ने बताया उसके गले मे घंटिया बंधी है।
जब रूकेगा तो घंटियो की आवाज आनी बंद
हो जायेगी
और मुझे पता चल जायेगा ।।
प्रोफेसर साहब ने फिर पूछा ,
मान लो वह एक स्थान पर खडे खडे ही गर्दन
हिलाता रहे तो ?
ग्रामीण ने समझाया ,
साहब यह गाँव का बैल है
कोई शहरी दफ्तर का बाबू नही ।।
बात समझो.....
Labels:
BEST STORIES
Feb 28, 2013
एक बार बाजार में एक तोता बेचने वाला आया। उसके पास दो तोते थे।..
एक बार बाजार में एक तोता बेचने
वाला आया। उसके पास दो तोते थे। उसने एक
तोते का कीमत पाँच सौ रूपये और दूसरे तोते
की कीमत पाँच पैसे रखी। उसने सबसे कहा,
"अगर कोई पाँच पैसे वाला तोता लेना चाहे
... तो ले जाए, लेकिन कोई पाँच सौ रूपये
वाला तोता लेना चाहेगा तो उसे
दूसरा तोता भी लेना पड़ेगा।"
वहाँ के राजा बाजार में आये। तोतेवाले
की आवाज सुनकर उन्होंने हाथी रोककर पूछा,
"इन दोनों के मूल्य में इतना अन्तर क्यों है?"
तोतेवाले ने कहा, "यह तो आप इनको ले
जायेंगे तभी आपको पता लगेगा।"
राजा ने तोते ले लिये। जब रात में वो सोने लगे
तो उन्होंने कहा कि "पाँच सौ रूपये वाले तोते
का पिंजड़ा मेरे पलंग के पास टाँग
दिया जाय।" जैसे ही सुबह चार बजे तोते ने
राम, राम, सीता-राम कहना शुरू कर दिया।
तोते ने खूब सुन्दर भजन गाये।बहुत अच्छे
श्लोक पढ़े। राजा बहुत खुश हुआ।
दुसरे दिन राजा ने दूसरे तोते का पिंजड़ा पास
में रखवाया। जैसे ही सुबह हुई उस तोते ने
गन्दी-गन्दी गालियाँ बोलनी शुरू कर दी।
राजा को बहुत जोर से गुस्सा आया। उन्होंने
अपने नौकर से कहा, "इस दुष्ट तोते को मार
डालो।"
पहले वाला तोता पास में ही सब बातें सुन
रहा था। उसने राजा से प्रार्थना की, "इसे
मत मारिये। यह मेरा सगा भाई है। हम
दोनों एक ही जाल में फँस गए थे। मुझे एक
संत ने ले लिया। उनके यहाँ में भजन सीख
गया। इसे एक चोर ने ले लिया। वहां इसने
गन्दी बातें सीख लीं। इसमें इसका कोई दोष
नहीं है। यह तो बुरी संगत का नतीजा है।"
राजा ने उस तोते को मारा नहीं बल्कि उस
संत के पास भेज दिया जहां पर रहकर वह
भी अच्छी बातें सीख गया।
सीख : बुरे लोगों की संगत से बचना चाहिए।
अच्छे लोगों की संगती करनी चाहिए।
जैसी हमारी संगती होती है वैसी ही बातें हम
सीखते है
वाला आया। उसके पास दो तोते थे। उसने एक
तोते का कीमत पाँच सौ रूपये और दूसरे तोते
की कीमत पाँच पैसे रखी। उसने सबसे कहा,
"अगर कोई पाँच पैसे वाला तोता लेना चाहे
... तो ले जाए, लेकिन कोई पाँच सौ रूपये
वाला तोता लेना चाहेगा तो उसे
दूसरा तोता भी लेना पड़ेगा।"
वहाँ के राजा बाजार में आये। तोतेवाले
की आवाज सुनकर उन्होंने हाथी रोककर पूछा,
"इन दोनों के मूल्य में इतना अन्तर क्यों है?"
तोतेवाले ने कहा, "यह तो आप इनको ले
जायेंगे तभी आपको पता लगेगा।"
राजा ने तोते ले लिये। जब रात में वो सोने लगे
तो उन्होंने कहा कि "पाँच सौ रूपये वाले तोते
का पिंजड़ा मेरे पलंग के पास टाँग
दिया जाय।" जैसे ही सुबह चार बजे तोते ने
राम, राम, सीता-राम कहना शुरू कर दिया।
तोते ने खूब सुन्दर भजन गाये।बहुत अच्छे
श्लोक पढ़े। राजा बहुत खुश हुआ।
दुसरे दिन राजा ने दूसरे तोते का पिंजड़ा पास
में रखवाया। जैसे ही सुबह हुई उस तोते ने
गन्दी-गन्दी गालियाँ बोलनी शुरू कर दी।
राजा को बहुत जोर से गुस्सा आया। उन्होंने
अपने नौकर से कहा, "इस दुष्ट तोते को मार
डालो।"
पहले वाला तोता पास में ही सब बातें सुन
रहा था। उसने राजा से प्रार्थना की, "इसे
मत मारिये। यह मेरा सगा भाई है। हम
दोनों एक ही जाल में फँस गए थे। मुझे एक
संत ने ले लिया। उनके यहाँ में भजन सीख
गया। इसे एक चोर ने ले लिया। वहां इसने
गन्दी बातें सीख लीं। इसमें इसका कोई दोष
नहीं है। यह तो बुरी संगत का नतीजा है।"
राजा ने उस तोते को मारा नहीं बल्कि उस
संत के पास भेज दिया जहां पर रहकर वह
भी अच्छी बातें सीख गया।
सीख : बुरे लोगों की संगत से बचना चाहिए।
अच्छे लोगों की संगती करनी चाहिए।
जैसी हमारी संगती होती है वैसी ही बातें हम
सीखते है
Labels:
BEST STORIES,
inspiral
एक बार किसी विद्वान् से एक बूढ़ी औरत ने पूछा कि क्या इश्वर सच में होता है ?
एक बार किसी विद्वान् से एक बूढ़ी औरत ने पूछा कि क्या इश्वर सच में होता है ? उस विद्वान् ने कहा कि माई आप क्या करती हो ? उसने कहा कि मै तो दिन भर घर में अपना चरखा कातती हूँ और घर के बाकि काम करती हूँ , और मेरे पति खेती करते हैं . उस विद्वान ने कहा कि माई क्या ऐसा भी कभी हुआ है कि आप का चरखा बिना आपके चलाये चला हो , या कि बिना किसी के चलाये चला हो ? उसने कहा ऐसा कैसे हो सकता है कि वो बिना किसीके चलाये चल जाये? ऐसा तो संभव ही नहीं है. विद्वान् ने फिर कहा कि माई अगर आपका चरखा बिना किसी के चलाये नहीं चल सकता तो फिर ये पूरी सृष्टि किसी के बिना चलाये कैसे चल सकतीहै ? और जो इस पूरी सृष्टि को चला रहा है वही इसका बनाने वाला भी है और उसे ही इश्वर कहते हैं.
उसी तरह किसी और ने उसी विद्वान् से पूछा कि आदमी मजबूर है या सक्षम? उन्होंने कहा कि अपना एक पैर उठाओ, उसने उठा दिया, उन्होंने कहा कि अब अपना दूसरा पैर भी उठाओ, उस व्यक्तिने कहा ऐसा कैसे हो सकता है? मै एक साथ दोनों पैर कैसे उठा सकता हूँ? तब उस विद्वान् ने कहा कि इंसान ऐसा ही है, ना पूरी तरह से मजबूर और ना ही पूरी तरह से सक्षम . उसे इश्वर ने एक हद तक सक्षम बनाया है और उसे पूरी तरह से छूट भी नहीं है . उसको इश्वर ने सही गलत को समझने कि शक्ति दी है और अब उसपर निर्भर करता है कि वो सही और गलत को समझ कर अपने कर्म को करे
उसी तरह किसी और ने उसी विद्वान् से पूछा कि आदमी मजबूर है या सक्षम? उन्होंने कहा कि अपना एक पैर उठाओ, उसने उठा दिया, उन्होंने कहा कि अब अपना दूसरा पैर भी उठाओ, उस व्यक्तिने कहा ऐसा कैसे हो सकता है? मै एक साथ दोनों पैर कैसे उठा सकता हूँ? तब उस विद्वान् ने कहा कि इंसान ऐसा ही है, ना पूरी तरह से मजबूर और ना ही पूरी तरह से सक्षम . उसे इश्वर ने एक हद तक सक्षम बनाया है और उसे पूरी तरह से छूट भी नहीं है . उसको इश्वर ने सही गलत को समझने कि शक्ति दी है और अब उसपर निर्भर करता है कि वो सही और गलत को समझ कर अपने कर्म को करे
Labels:
BEST STORIES,
inspiral
Feb 26, 2013
एक शिक्षिका ने अपने छात्रों को एक निबंध लिखने को कहा....
-निबंध-
प्राथमिक पाठशाला की एक शिक्षिका ने अपने छात्रों को एक निबंध लिखने को कहा. विषय था"भगवान से आप क्या बनने का वरदान मांगेंगे" इस निबंध ने उस क्लास टीचर को इतना भावुक कर दिया कि रोते-रोते उस निबंध को लेकर वह घर आ गयी. पति ने रोने का कारण पूछा तो उसने जवाब दिया इसे पढ़ें, यह मेरे छात्रों में से एक नेयह निबंध लिखा है..
निबंध कुछ इस प्रकार था:-
हे भगवान, मुझे एक टीवी बना दो क्योंकि तब मैं अपने परिवार में ख़ास जगह ले पाऊंगा और बिना रूकावट या सवालों के मुझे ध्यान से सुना व देखा जायेगा. जब मुझे कुछ होगा तब टीवी खराब की खलबली पूरे परिवार में सबको होगी और मुझे जल्द से जल्द सब ठीक हालत में देखने के लिए लालायित रहेंगे. वैसे मम्मी पापा के पास स्कूल और ऑफिस में बिलकुल टाइम नहीं है लेकिन मैं जब अस्वस्थ्य रहूँगा तब मम्मी का चपरासी और पापा के ऑफिस का स्टाफ मुझे सुधरवाने के लिए दौड़ कर आएगा. दादा का पापा के पास कई बार फोन चला जायेगा कि टीवी जल्दी सुधरवा दो दादी का फेवरेट सीरियल आने वाला हे. मेरी दीदी भी मेरे साथ रहने के लिए के लिए हमेशा सबसे लडती रहेगी. पापा जब भी ऑफिस से थक कर आएँगे मेरे साथ ही अपना समय गुजारेंगे. मुझे लगता है कि परिवार का हर सदस्य कुछ न कुछ समय मेरे साथ अवश्य गुजारनाचाहेगा मैं सबकी आँखों में कभी ख़ुशी के तो कभी गम के आंसू देख पाऊंगा. आज मैं "स्कूल काबच्चा" मशीन बन गया हूँ. स्कूल में पढ़ाई घर में होमवर्क और ट्यूशन पे ट्यूशन ना तो मैं खेल पाता हूँ न ही पिकनिक जा पाता हूँ इसलिए भगवान मैं सिर्फ एक टीवी की तरह रहना चाहता हूँ, कम से कम रोज़ मैं अपने परिवार के सभी सदस्यों के साथ अपना बेशकीमती समय तो गुजार पाऊंगा.
पति ने पूरा निबंध ध्यान से पढ़ा और अपनी राय जाहिर की. हे भगवान ! कितने जल्लाद होंगे इस गरीब बच्चे के माता पिता !
पत्नी ने पति को करुण आँखों से देखा और कहा,...... यह निबंध हमारे बेटे ने लिखा है !
प्राथमिक पाठशाला की एक शिक्षिका ने अपने छात्रों को एक निबंध लिखने को कहा. विषय था"भगवान से आप क्या बनने का वरदान मांगेंगे" इस निबंध ने उस क्लास टीचर को इतना भावुक कर दिया कि रोते-रोते उस निबंध को लेकर वह घर आ गयी. पति ने रोने का कारण पूछा तो उसने जवाब दिया इसे पढ़ें, यह मेरे छात्रों में से एक नेयह निबंध लिखा है..
निबंध कुछ इस प्रकार था:-
हे भगवान, मुझे एक टीवी बना दो क्योंकि तब मैं अपने परिवार में ख़ास जगह ले पाऊंगा और बिना रूकावट या सवालों के मुझे ध्यान से सुना व देखा जायेगा. जब मुझे कुछ होगा तब टीवी खराब की खलबली पूरे परिवार में सबको होगी और मुझे जल्द से जल्द सब ठीक हालत में देखने के लिए लालायित रहेंगे. वैसे मम्मी पापा के पास स्कूल और ऑफिस में बिलकुल टाइम नहीं है लेकिन मैं जब अस्वस्थ्य रहूँगा तब मम्मी का चपरासी और पापा के ऑफिस का स्टाफ मुझे सुधरवाने के लिए दौड़ कर आएगा. दादा का पापा के पास कई बार फोन चला जायेगा कि टीवी जल्दी सुधरवा दो दादी का फेवरेट सीरियल आने वाला हे. मेरी दीदी भी मेरे साथ रहने के लिए के लिए हमेशा सबसे लडती रहेगी. पापा जब भी ऑफिस से थक कर आएँगे मेरे साथ ही अपना समय गुजारेंगे. मुझे लगता है कि परिवार का हर सदस्य कुछ न कुछ समय मेरे साथ अवश्य गुजारनाचाहेगा मैं सबकी आँखों में कभी ख़ुशी के तो कभी गम के आंसू देख पाऊंगा. आज मैं "स्कूल काबच्चा" मशीन बन गया हूँ. स्कूल में पढ़ाई घर में होमवर्क और ट्यूशन पे ट्यूशन ना तो मैं खेल पाता हूँ न ही पिकनिक जा पाता हूँ इसलिए भगवान मैं सिर्फ एक टीवी की तरह रहना चाहता हूँ, कम से कम रोज़ मैं अपने परिवार के सभी सदस्यों के साथ अपना बेशकीमती समय तो गुजार पाऊंगा.
पति ने पूरा निबंध ध्यान से पढ़ा और अपनी राय जाहिर की. हे भगवान ! कितने जल्लाद होंगे इस गरीब बच्चे के माता पिता !
पत्नी ने पति को करुण आँखों से देखा और कहा,...... यह निबंध हमारे बेटे ने लिखा है !
Labels:
BEST STORIES
Subscribe to:
Posts (Atom)